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आर्मी कैडेट कॉलेज की 107वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी, 50 कैडेट हुए आइएमए की मुख्यधारा में शामिल

आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की 107 वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी में 50 कैडेट भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की मुख्यधारा में शामिल हुए।

By sunil negiEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 07:55 PM (IST)Updated: Sat, 04 Jun 2016 04:30 AM (IST)

देहरादून (जेएनएन)। सिपाही के रूप में फौज के आधारभूत ढांचे को करीब से जाना और अब अधिकारी बनकर सेना को अपने नेतृत्व कौशल से मजबूत बनाएंगे। आर्मी कैडेट कॉलेज (एसीसी) की 107 वीं ग्रेजुएशन सेरेमनी में 50 कैडेट भारतीय सैन्य अकादमी (आइएमए) की मुख्यधारा में शामिल हुए। अब वे अकादमी में एक साल का कड़ा प्रशिक्षण लेकर सेना में अधिकारी के रूप में पदार्पण करेंगे।

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अपनी लग्न और परिश्रम के बूते ये मुकाम हासिल करने वाले इन जाबांजों में उत्तराखंड के युवाओं ने खास मुकाम हासिल किया है। कोटद्वार के रविंद्र सिंह रावत ने चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल व सर्विस सब्जेक्ट में कमान्डेंट सिल्वर मेडल हासिल किया।

आज आइएमए के कमांडेंट (ले.ज.) एसके सैनी ने आर्मी कैडेट कॉलेज के 107 वें कोर्स के 50 कैडेटों को ग्रेजुएट्स की उपाधि व अवार्ड दिए। 29 कैडेट ह्यूमिनिटीज स्ट्रीम और 21 साइंस स्ट्रीम से ग्रेजुएट बने। कॉलेज से पासआउट होने के बाद यह कैडेट आइएमए में एक साल का प्रशिक्षण लेंगे।
कमांडेंट ने सैन्य अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेट्स को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कैडेट्स को याद दिलाया कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में ऐसे जांबाज अफसर दिए हैं, जिन्होंने अपनी क्षमता के बलबूते कई पदक जीते। इस दौरान आर्मी कैडेट कॉलेज विंग के कमांडर ब्रिगेडियर निकेश नंदन आदि उपस्थित थे।
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इन कैडेट्स को मिला अवार्ड

  • चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ गोल्ड मेडल (सीओएएस):- रविंद्र सिंह रावत
  • सीओएएस सिल्वर मेडल:-बिस्वजीत कार
  • सीओएएस ब्रांज मेडल:- अशक हुसैन
  • कमांडेंट्स बैनर:- कारगिल कंपनी
कमांडेंट्स सिल्वर मेडल
  • सर्विस सब्जेक्ट्स- रविंद्र सिंह रावत
  • ह्यूमिनिटीज स्ट्रीम-बिक्रमजीत सिंह
  • साइंस स्ट्रीम-बिस्वजीत कार
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जांबाजी से इतर एसीसी से पासआउट कैडेट्स का हुनर
जांबाजी से इतर एसीसी से पासआउट कैडेट्स का हुनर फोटोग्राफी, पेंटिंग आदि जैसे रचनात्मक कार्यों में भी दिखाई दिया। यह एंड ऑफ टर्म इंडोर क्लब एक्जिबिशन में नुमाया हुआ। प्रदर्शनी का उद्घाटन आइएमए कमान्डेंट की पत्नी नीना सैनी ने किया। कैडेट्स के आटर्स क्लब, बर्ड वाचिंग एंड फोटोग्राफी क्लब, कंप्यूटर क्लब व वाइल्ड लाइफ इकोलॉजी एंड अर्बोरीकल्चर क्लब की रचनात्मक क्षमता के कई पहलू उजागर हुए। इस दौरान स्प्रिंग टर्म-2016 जर्नल का भी लोकार्पण किया गया।

आर्मी कैडेट कॉलेज का सफर

  • आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) की नींव दि किचनर कॉलेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी।
  • 16 मई 1960 को किचनर कालेज आर्मी कैडेट कॉलेज के रूप में कार्य करने लगा, जिसका शुभारंभ तत्कालीन रक्षा मंत्री वीके कृष्णा व जनरल केएस थिमय्या ने किया।
  • यहां से कोर्स की पहली पीओपी 10 फरवरी 1961 को हुई।
  • वर्ष 1977 में कॉलेज भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया।
  • वर्ष 2006 में कॉलेज आइएमए का अभिन्न अंग बन गया।
  • कॉलेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। अब तक एसीसी से साढ़े चार हजार से अधिक सैनिक अफसर बन चुके हैं।
  • कालेज से पास होकर कैडेट आइएमए में जेंटलमेन कैडेट के रूप में ट्रेनिंग लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।

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