देहरादून [जेएनएन]: मास्टर प्लान निरस्त होने का असर मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के कामकाज पर नजर आने लगा है। सामान्य दिनों में जहां प्राधिकरण में नक्शों का बैकलॉग करीब 250 रहता था, वह अब बढ़कर 2400 हो गया है। हालांकि अधिकारी उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट-1973 के प्रावधानों से किसी तरह कामकाज को संचालित कर रहे हैं। 

हाईकोर्ट ने पूर्व नगर नियोजक एससी घिल्डियाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए 15 जून को एमडीडीए के मास्टर प्लान को निरस्त करने का आदेश दिया था। इसके बाद दो दिन सार्वजनिक अवकाश रहने पर सोमवार 18 जून को एमडीडीए कार्यालय खुला तो तभी से नक्शों पर कार्रवाई बंद कर दी गई थी। मास्टर प्लान निरस्त होने का मतलब यह था कि दून में लैंडयूज प्रभावी नहीं रह गया और नक्शे पास करने के लिए लैंडयूज होना जरूरी है। इसके साथ ही अवैध निर्माण पर भी कंपाउंडिंग आदि की कार्रवाई को भी रोक दिया गया था। तब से अब तक एमडीडीए में 2400 नक्शों को पास करने या कंपाउंडिंग संबंधी कार्य लंबित पड़ गए हैं।

कई नक्शे ऐसे भी हैं, जिनमें शुल्क जमा करा लिया गया है और उन्हें जारी करना संभव नहीं हो पा रहा। हालांकि उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट के तहत काम किया जा रहा है। यह एक्ट कहता है कि बिना स्वीकृति के निर्माण नहीं किया जाएगा। ऐसे में एमडीडीए अधिकारी अवैध निर्माण पर अंकुश लगाने के लिए इस एक्ट का सहारा ले रहे हैं। अवैध निर्माण की शिकायत पर एक्ट के तहत चालान जरूर किए जा रहे हैं। इससे अवैध निर्माण पर तो अंकुश लग रहा है, मगर मास्टर प्लान के प्रभावी न होने की दशा में नक्शों पर कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही। हालांंकि मास्टर प्लान पर हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में फौरी राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दाखिल की गई है, मगर अभी सुनवाई की डेट नहीं मिल पाई है।

एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि एक्ट के अनुसार जहां तक संभव हो पा रहा है, कार्यों को गति दी जा रही है। प्रयास किए जा रहे हैं कि प्राधिकरण का काम कम से कम प्रभावित हो। इसके अलावा एमडीडीए की विकास संबंधी अन्य योजनाओं पर भी फोकस बढ़ा दिया गया है। 

सुनवाई जारी रहने से कुछ राहत 

अवैध निर्माण के विभिन्न मामलों में लोगों की सुनवाई जरूर की जा रही है। इससे कम से कम यह उम्मीद जरूर है कि जब तक मास्टर प्लान पर राहत मिलेगी, तब तक बड़ी संख्या में प्रकरणों की सुनवाई पूरी हो जाएगी और फिर उसी रफ्तार से आदेश भी जारी किए जा सकेंगे

यह भी पढ़ें: 36 साल में बने तीन मास्टर प्लान लेकिन जोनल एक भी नहीं

यह भी पढ़ें: वन्यजीव हमलों में मृत के परिजनों को अब तीन की जगह पांच लाख मुआवजा

यह भी पढ़ें: इन क्षेत्रों में है गुलदार का आतंक, निजात दिलाने की मांग

Edited By: Raksha Panthari