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जहरीली शराब कांड: चंदे के धंधे में पूरा सिस्टम अंधा, पढ़िए पूरी खबर

जहरीली कांड को कई घंटे गुजर चुके हैं लेकिन असल गुनहगार अब तक कानून के फंदे से बाहर हैं। बताया तो यह भी जा रहा कि इसके बदले धंधेबाजों से चंदा भी लिया जा रहा था।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 10:28 AM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 10:28 AM (IST)
जहरीली शराब कांड: चंदे के धंधे में पूरा सिस्टम अंधा, पढ़िए पूरी खबर
जहरीली शराब कांड: चंदे के धंधे में पूरा सिस्टम अंधा, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, अंकुर अग्रवाल। पथरिया पीर जहरीली कांड को कई घंटे गुजर चुके हैं, लेकिन असल गुनहगार अब तक कानून के फंदे से बाहर हैं। शराब बेचने वाले एक शख्स को गिरफ्तार जरूर कर लिया गया है। इस सबके बाद सवाल अपनी जगह कायम है कि शहर के बीचोंबीच आखिरकार अवैध शराब का धंधा किसकी शह पर फलफूल रहा था। यह तो घटना के बाद फूटे जनाक्रोश में जाहिर हो गया है कि शराब माफिया को किसी न किसी का खुला संरक्षण था। बताया तो यह भी जा रहा कि इसके बदले धंधेबाजों से 'चंदा' भी लिया जा रहा था। जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवाल खड़े कर रही है। घटना के बाद ये न तो खुलकर माफिया के विरोध में सामने आ रहे, ना ही पीड़ि‍त परिवारों को कोई सांत्वना दे रहे। जाहिर है, कुछ तो है, जिस पर पर्दा डाला जा रहा। 

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पथरिया पीर, चुक्खूवाला, इंद्रा कालोनी, बिंदाल बस्ती, मद्रासी कालोनी, ब्रह्मपुरी व सपेरा बस्ती जैसे शहर में बसे दर्जनों इलाके न सिर्फ बसावत व भौगोलिक परिस्थितियों में एक जैसे हैं, बल्कि यहां रहने वालों का रहन-सहन भी लगभग एक-समान है। इन इलाकों में अवैध देशी शराब का धंधा वर्षों से फलफूल रहा है, लेकिन सबकुछ जानते हुए भी जिम्मेदारों ने आंखें बंद किए रखीं। कोई वोटों की फसल काटने तो कोई उगाही की खातिर धंधेबाजों को संरक्षण देते रहे। इस तरह की बस्तियां दून शहर में हमेशा वोटबैंक के तौर पर इस्तेमाल की जाती रही हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के बड़े नेताओं की दृष्टि इन लोगों पर रहती है। पथरिया पीर कांड में पीडि़त परिवारों ने जनप्रतिनिधियों पर आरोप लगाए कि वे ही शराब माफिया को पालते हैं। यह भी आरोप लगते हैं कि इन्हीं वजह से पुलिस सफेदपोशों के दबाव में रहती है।

माफिया के साथ विधायक 

जिस शराब माफिया घोंचू को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस वारंट लेकर बीते कई माह से घूमती रही, उसके पोस्टर शहर के एक विधायक के साथ पूरे शहर में लगे हुए थे। पथरिया पीर कांड में भी पुलिस ने घोंचू को ही मुख्य आरोपित बताया है। पोस्टर में घोंचू साथ खड़े विधायक को जन्मदिन की बधाई दे रहा था। उस वक्त सवाल उठे कि अगर घोंचू तड़ीपार है तो शहर में उसके पोस्टर कैसे और किसने लगाए।

उधारी पर चलता है अवैध धंधा

बस्तियों में अवैध शराब का धंधा उधारी पर चलता है। पथरिया पीर के निवासी एक युवक ने बताया कि धंधेबाज पूरे माह का हिसाब डायरी में रखते हैं। चूंकि, बस्ती में शराब पीने वाले बाजार में रोजाना नकद देने में सक्षम नहीं होते, इसलिए धंधेबाजों से ये लोग उधारी में शराब लेते हैं। हालात यह हैं कि उधारी की रकम न देने पर माफिया इनके घर-संपत्ति तक गिरवी रख लेते हैं।

50 पव्वे के बनाते हैं 200 पव्वे

अवैध शराब के धंधेबाज लोगों की जान से खेल मोटा मुनाफा कमाते हैं। सूत्रों ने बताया कि ये आबकारी विभाग के ठेकों से केवल 50 पव्वे शराब के खरीदते हैं और मिलावट के जरिये उसके 200 पव्वे बना देते हैं। यही नहीं इनका नेटवर्क कबाड़ियों से भी होता है व उनसे पव्वे की खाली बोतलें खरीदते हैं। ये देशी शराब में रेक्टीफाइड स्प्रिट, थिनर व मिथाइल एल्कोहल, नौसादर, यूरिया मिलाते हैं। उसके बाद खाली बोतलों में इस शराब को भरकर उस पर लेवलिंग व सिलिंग कर लोगों को कम दाम में बेची जाती है। अगर बाजार में पव्वा 40 रुपये का है तो धंधेबाज मिलावटी शराब का पव्वा 25 रुपये में दे देते हैं। सस्ती व उधार की शराब के फेर में लोग इस जाल में फंस जाते हैं।

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घर-घर में जान लील रही शराब

पथरिया पीर इलाके की हालत ऐसी है कि यहां घर-घर में शराब के लती हैं। स्थिति ये है कि बड़ी संख्या में बच्चे से लेकर अधेड़ तक शराब का रोजाना सेवन कर रहे। लोगों की मानें तो यहां अवैध शराब पीने वालों में कोई अकेला ही होगा जो पचास साल उम्र पार कर पाता हो। यह तो पहली बार हुआ कि एकसाथ छह मौत हो गई और जहरीली शराब के धंधे का भंड़ाफोड़ हुआ, वरना हर साल इसी शराब के सेवन से अस्सी से सौ लोग अपनी जान गवां देते हैं। 

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