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    कुत्ते पकड़ने में पशु प्रेमियों का अड़ंगा

    By Edited By:
    Updated: Fri, 22 Apr 2016 01:01 AM (IST)

    जागरण संवाददाता, देहरादून : शहर में आवारा कुत्तों को पकड़ने में हमेशा पशु प्रेमी अड़ंगा लगा देते है

    जागरण संवाददाता, देहरादून :

    शहर में आवारा कुत्तों को पकड़ने में हमेशा पशु प्रेमी अड़ंगा लगा देते हैं। मेयर विनोद चमोली व्यवहारिक समस्या का जिक्र करते हुए बताते हैं कि जब आवारा कुत्ते को नगर निगम का कोई कर्मी पकड़ेगा तो स्वभाविक है कि इसमें जिद्दोजहद करनी पड़ेगी। जिद्दोजहद को समाजसेवी संस्थाएं पशु क्रूरता बताते हैं। ऐसे में काम कैसे किया जाए। मेयर बताते हैं कि समाजसेवी संस्थाओं को भी समाज के प्रति जिम्मेदारी समझनी चाहिए।

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    नगर पालिका के समय का जिक्र करते हुए मेयर चमोली ने बताया कि उस समय आवारा या ज्यादा काटने वाले कुत्तों को मारने की व्यवस्था थी। लेकिन, बाद में पशु प्रेमियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया। वर्तमान की व्यवस्था में न तो नगर निगम कुत्तों को मार सकता है और न ही उनका इलाका बदला जा सकता है। कुत्तों को जहां से पकड़ना होगा, वापस भी वहीं छोड़ना होगा। मेयर ने बताया कि तीन वर्ष पहले जब निगम ने कुत्तों को पकड़ने के लिए व्यापक अभियान चलाया था तो एक संस्था विरोध में हाईकोर्ट पहुंच गई। काफी दिन मामला चला, लेकिन नगर निगम को राहत नहीं मिल सकी। अब जैसे-तैसे काम चलाया जा रहा है, लेकिन अगले माह से आवारा कुत्तों के लिए एनिमल बर्थ कंट्रोल अस्पताल शुरू हो रहा है। मेयर चमोली की मानें तो इसके बाद काफी हद तक कुत्तों के काटने की समस्या का निदान हो जाएगा।

    कुशल कर्मियों की कमी

    मेयर ने बताया कि कुत्ते पकड़ने वाली टीम में कुशल कर्मियों की कमी भी बड़ी समस्या है। शासन ने अलग से प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए हैं। ऐसे में निगम ने अपने कर्मियों की ही टीम बनाई है। कई दफा कुत्तों ने कर्मचारी को ही काट लिया। ऐसे में निगम दोहरी समस्याओं से जूझ रहा है।

    डेढ़ करोड़ से बन रहा एबीसी

    नगर निगम आवारा कुत्तों व पशुओं के लिए केदारपुरम में करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) अस्पताल बना रहा है। इसमें 72 पशुओं के इलाज की क्षमता है। मेयर ने बताया कि इसमें व्यवस्था आउट सोर्स की जाएगी व एनजीओ को शामिल किया जाएगा। जिन एनजीओ के पास पांच डॉक्टर व सात पैरा मेडिकल कर्मियों का स्टॉफ होगा, उसे ही जिम्मेदारी दी जाएगी। दो वर्ष में 22 हजार कुत्तों के ऑपरेशन का लक्ष्य रखा गया है। एक कुत्ते पर करीब एक हजार रुपये खर्चा आएगा, जिसमें निगम को एक तिहाई खर्च करना है। बाकी दो तिहाई केंद्र और राज्य सरकार वहन करेंगे। मेयर की मानें तो मई में एबीसी अस्पताल शुरू हो जाएगा। इसमें पशु चिकित्सकों की इंटर्नशिप की व्यवस्था भी होगी।

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