फर्जी प्रमाणपत्र पर सीबीआइ के शिकंजे में उप्र के 134 शिक्षक
फर्जी मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं और 12वीं के प्रमाणपत्रों से नौकरी हासिल करने वाले शिक्षक सीबीआइ की रडार पर हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: फर्जी मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से दसवीं और 12वीं के प्रमाणपत्रों से नौकरी हासिल करने वाले शिक्षक सीबीआइ की रडार पर हैं। ऐसे 134 शिक्षकों को सीबीआइ ने समन भेजने की तैयारी कर ली है। इस मामले में सीबीआइ पहले ही 29 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर चुकी है।
सीबीआइ ने गाजियाबाद और लखनऊ में मध्यप्रदेश के फर्जी मध्य भारत माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का अगस्त में भंडाफोड़ किया था। इस मामले में सीबीआइ ने अलग-अलग जगह बोर्ड का संचालन करने वाले 29 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किए थे।
इस मामले में सीबीआइ ने इसी सप्ताह फर्जी बोर्ड चलाने वाले संचालकों के दफ्तर से सबूत एकत्र किए हैं। इसमें सीबीआइ को 134 ऐसे शिक्षकों का ब्यौरा मिला है, जिनके द्वारा इन बोर्ड से प्रमाणपत्र लेने के बाद नौकरी हासिल की है।
इसके अलावा सीबीआइ ने फर्जी बोर्ड की मार्कशीट व प्रमाणपत्र के जरिये फर्रुखाबाद, इलाहाबाद व कौशाम्बी में नौकरी कर रहे कईं आरोपितों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि सभी शिक्षकों का ब्योरा मिलने के बाद समन जारी किए जाएंगे। इस मामले में सीबीआइ गिरोह में संलिप्त कई आरोपियों को भी चिह्नित करने में जुट गई है।
चार जनपदों के 181 निजी स्कूलों को नोटिस
प्रदेश के चार जनपदों के 181 निजी स्कूलों को शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एनसीईआरटी की किताबों के संबध में हुई जांच के आधार पर जारी किए गए हैं। बताया गया कि स्कूलों ने एनसीईआरटी के अलावा अन्य महंगी किताबें भी छात्रों पर थोपी हैं। महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी की ओर से जारी नोटिस का स्कूलों को 4 अक्टूबर तक जवाब देना होगा।
226 स्कूलों का किया गया निरीक्षण
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के निर्देश पर निजी स्कूलों में एनसीईआरटी किताबें किताबें लागू होने के संबंध में जांच करनी थी। जिसके तहत अधिकारियों ने देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर व नैनीताल के 226 स्कूलों का निरीक्षण किया था।
इनमें से हरिद्वार के 65, देहरादून के 42, नैनीताल के 55 और ऊधमसिंहनगर जिले के 19 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। इन निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों के अलावा अन्य प्रकाशकों की महंगी किताबें लगाने के अलावा अन्य कई खामियां भी पाई गई। जिसमें किताबों की सूची स्कूल वेबसाइट पर अपलोड न करना, अनापत्ति प्रमाण पत्र लेने के लिए जिन अनुबंधों और शर्तो का पालन करने की बात कही थी, उनका पालन न करना आदि शामिल है।
स्कूलों को भेजे नोटिस में कहा गया है कि क्यों न उनके कोर्ट के आदेश का अनुपालन न करने के संबंध में हाईकोर्ट को अवगत करा दिया जाए। उनकी एनओसी निरस्त करने की कार्रवाई अमल में लाई जाए।
जांच में मिली ये खामियां
-एनसीईआरटी से भिन्न किताबों का मूल्य एनसीईआरटी की किताबों से अधिक है, जबकि हाईकोर्ट का निर्णय है कि मूल्य बराबर होना चाहिए।
-विद्यालय द्वारा लागू की गई किताबों की सूची वेबसाइट पर प्रदर्शित नहीं की गई।
-विद्यालय की प्रबंध समिति में शिक्षा निदेशक द्वारा नामित सदस्य होगा, इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया।
-विद्यालय की वेबसाइट नहीं बनाई गई।
-कक्षा 9-10 बिना मान्यता के संचालित हैं।
-विद्यालय द्वारा निरीक्षण में सहयोग नहीं किया गया।
-विद्यालय ने शुल्क में नियम विरुद्ध 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।
-एनसीईआरटी से भिन्न लागू किताबें सीबीएसई के पाठ्यक्रम के अनुसार नहीं है।
-कक्षा 9 से 12 तक एनसीईआरटी की किताबें आंशिक रूप से लागू की गई।
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