स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों को मिलेगी भूमि
जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों की पहली पीढ़ी को
जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों की पहली पीढ़ी को अब नगर निकाय 100 वर्ग मीटर जमीन उपलब्ध करा सकेंगे। इस संबंध में शहरी विकास विभाग ने प्रदेश के नगर निकायों के लिए शासनादेश जारी कर दिया है। हालांकि, व्यवस्था का लाभ सिर्फ उन आश्रितों के लिए होगा, जो आवासहीन हैं। पहले नगर निकायों को जमीन उपलब्ध कराने में शहरी विकास विभाग से अनुमति लेनी पड़ती थी, मगर अब उन्हें इससे मुक्त कर दिया गया है। इस व्यवस्था से अकेले देहरादून शहर में करीब चार दर्जन आश्रितों को लाभ मिल सकेगा।
प्रदेश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की पहली पीढ़ी के सैकड़ों लोग रहते हैं और इनमें उनकी संख्या भी कम नहीं है जिनके पास अपने आवास नहीं हैं। इस सिलसिले में राज्य आंदोलनकारी व भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने लगभग आठ साल पूर्व कोशिश शुरू की कि आवासहीन आश्रितों को सूबे में 100 वर्ग मीटर सरकारी जमीन उपलब्ध हो सके। सबसे पहले इसकी शुरुआत दून नगर निगम से की गई। मनोरमा शर्मा जब मेयर थी तो उनके बोर्ड में इस प्रस्ताव को पारित कर शासन को भेजा गया पर शासन ने इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। फिर मेयर विनोद चमोली के बोर्ड में इस प्रस्ताव को दोबारा पारित कर शासन में भेजा गया और इस बार भी मामला लटक गया। आठ माह पूर्व प्रस्ताव को शहरी विकास विभाग की मंजूरी दिलाने के लिए फिर कोशिश आरंभ हुई। बीती 11 दिसंबर को शहरी विकास विभाग ने प्रदेश के सभी नगर निकायों के लिए आदेश जारी कर दिया है कि वे अपने क्षेत्र में रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रितों को 100 वर्ग मीटर जमीन अपने विवेक के अनुसार उपलब्ध करा सकते हैं। आश्रितों की पहली पीढ़ी जो जीवित और आवासहीन है उन्हें ही जमीन मिलेगी। यह जिम्मा नगर निकायों के प्रशासनिक अफसर देखेंगे। वह चिह्नीकरण कर अपने बोर्ड में मामला पारित कराकर जमीन उपलब्ध करा सकेंगे। आदेश बुधवार को नगर निगम दून भी पहुंच गए। मुख्य नगर अधिकारी हरक सिंह रावत ने बताया कि करीब एक साल पहले ऐसे चार दर्जन आश्रितों के आवेदन भी आए थे, लेकिन तब यह व्यवस्था लागू नहीं थी। निगम पुरानी लिस्ट के आधार पर जांच कर रहा है। इसके बाद जमीन दी जा सकेगी।

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