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    Uttarakhand Landslide: उत्तराखंड में 10 साल में 4662 स्थानों पर हुआ भूस्खलन, 319 लोगों ने गंवाई जान

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 11:48 AM (IST)

    उत्तराखंड में भूस्खलन एक बड़ी समस्या है। 2015 से अब तक 4662 स्थानों पर भूस्खलन हुआ है जिसमें 319 लोगों की जान गई है। पौड़ी जिले में सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं जबकि नैनीताल में सबसे कम। अतिवृष्टि और वर्षा के बदलते पैटर्न के कारण भूस्खलन बढ़ा है। आपदा प्रबंधन विभाग भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में उपचार कार्य कर रहा है।

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    पौड़ी जिले में सर्वाधिक 2040 और नैनीताल में सबसे कम सात स्थानों पर भूस्खलन। फाइल फोटो

    केदार दत्त, जागरण, देहरादून। आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में वर्षाकाल के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन की डरावनी तस्वीर है। कब कहां अतिवृष्टि से जमीन दरक जाए, कहा नहीं जा सकता। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। एक जनवरी, 2015 से अब तक के परिदृश्य को देखें तो राज्य में 4662 स्थानों पर भूस्खलन से बड़े पैमाने पर क्षति हुई है।

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    पौड़ी जिले में भूस्खलन की सर्वाधिक 2040 घटनाएं हुईं, जबकि नैनीताल (सात) में सबसे कम। राज्यभर में अब तक भूस्खलन की चपेट में आकर 319 व्यक्तियों की जान जा चुकी है, जबकि 192 लोग घायल हुए और 19 लापता हैं। घरों, गोशालाओं, मवेशियों, कृषि भूमि, सड़कों समेत अन्य परिसंपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा है।

    उत्तराखंड में हर साल औसतन 1529 मिलीमीटर वर्षा होती है, इसमें 1121 मिलीमीटर का योगदान अकेले वर्षाकाल के चार महीनों का है। यही नहीं, बीते कुछ वर्षों से वर्षा के पैटर्न में भी बदलाव दिख रहा है। पूर्व में सप्ताहभर तक चलने वाली झड़ी अब बेहद कम हो गई हैं। स्थिति यह है कि कुछ जगह अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कुछ में बेहद कम। अतिवृष्टि व बादल फटने से भूस्खलन की घटनाएं भी बढ़ी हैं। इन्हीं में अधिक क्षति हो रही है।

    राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों पर जिलेवार नजर दौड़ाएं तो भूस्खलन की दृष्टि से पौड़ी जिला अधिक संवेदनशील है, जहां साढ़े 10 वर्ष में 2040 स्थानों पर भूस्खलन हुआ। दूसरे स्थान पर पिथौरागढ़ है, जहां 1426 घटनाएं हुई हैं। अलबत्ता, नैनीताल जिला ऐसा है, जहां इस अवधि में भूस्खलन की सात घटनाएं हुई हैं।

    राज्य में भूस्खलन की घटनाएं (एक जनवरी, 2015 से अब तक)

    जिला घटनाएं मृत्यु घायल लापता
    पौड़ी, 2040 13 02 00
    पिथौरागढ़ 1626 100 57 04
    टिहरी 279 48 20 00
    चमोली 258 17 05 00
    चंपावत 173 18 12 00
    देहरादून 94 05 04 00
    उत्तरकाशी 80 42 26 02
    रुद्रप्रयाग 48 51 50 13
    अल्मोड़ा 30 00 01 00
    बागेश्वर 27 12 08 00
    नैनीताल, 07 13 07 00

    यह भी क्षति

    • 500 पक्के-कच्चे भवन पूर्ण या तीक्ष्ण रूप से क्षतिग्रस्त।
    • 1977 पक्के भवनों को आंशिक रूप से नुकसान।
    • 113 कच्चे भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त।
    • 04 झोपडिय़ां हुई ध्वस्त।
    • 1548 छोटे-बड़े मवेशियों की मृत्यु।
    • 62 गोशालाएं हुई ध्वस्त।
    • 38.63000 हेक्टेयर भूमि हुई तबाह।
    • 2542 सड़कें राज्यभर में हुई क्षतिग्रस्त।
    • 2150 अन्य परिसंपत्तियों को पहुंचा नुकसान।

    जिलाधिकारियों को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के उपचार के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं। कई जगह उपचार किया जा चुका है, जबकि कुछ जगह चल रहा है। भूस्खलन की रोकथाम के दृष्टिगत विभिन्न विभागों का भी सहयोग लिया जा रहा है। - विनोद कुमार सुमन, सचिव आपदा प्रबंधन।

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