सिखों के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक रीठा साहिब
गौरी शंकर पंत लोहाघाट लोहाघाट से 62 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा रीठासाहिब सिखों का
गौरी शंकर पंत, लोहाघाट : लोहाघाट से 62 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा रीठासाहिब सिखों का पवित्र धार्मिक स्थल है। यहां चौथी उदासी के समय इस स्थान पर सिखों के पहले गुरु नानक देव जी का आगमन हुआ था। तब से यह स्थान पवित्र तीर्थ बन गया। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले जोड़ मेले में यहां पहुंचने वाले सिख तीर्थ यात्री न केवल आस्था की डुबकी लगते अपितु यहां के पर्यटन व्यवसाय को भी समृद्ध करते हैं।
देव भूमि उत्तराखंड में तैंतीस कोटि देवी देवताओं का निवास स्थान माना जाता है। यहां पग पग पर स्थित देवालयों दर्शन कर लोगों के अंदर स्वयं ऊर्जा पैदा होती है। चंपावत जिले में विकास खंड पाटी के लधियाघाटी क्षेत्र में बसा रीठा साहिब गुरुद्वारा न केवल श्रद्धालुओं को अध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इस स्थान पर सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव जी के चरण पड़ने के कारण इसका महत्व काफी अधिक है। गुस्नानक देव यहां चौथी उदासी के समय अपने प्रिय शिष्य बाला तथा मरदाना के साथ आए थे। उन्होंने यहां रह रहे सिद्धों के साथ शास्त्रार्थ कर उन्हें पराजित किया था। जगह का नाम रीठा साहिब पड़ने का भी रोचक इतिहास है।
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विश्व प्रसिद्ध रीठा साहिब के मीठे रीठे का चमत्कारी इतिहास
लोहाघाट: रीठा साहिब गुरुद्वारे में जब नानक देव जी यहां ठहरे हुए थे उस दौरान गुरुनानक के शिष्य मरदाना को भूख लग गई। नानक देव जी ने उसे यहां निवास कर रहे गुरु गोरखनाथ के शिष्यों से भोजन मांग कर खाने का आदेश दिया। मरदाना ने भोजन देने का आग्रह किया तो साधुओं ने उसकी तौहीन करते हुए कहा कि जिस गुरु पर तुम्हें इतना गुमान है वह तुम्हारी भूख क्यों शांत नहीं कर देते। गुरुनानक देव जी ने शांत भाव से शिष्य मरदाना को सामने खड़े रीठे के पेड़ से फल खाने को कहा। रीठा स्वभाव से ही कड़वा होता है, पर जैसे ही मरदाना ने रीठे के फल खाए वह मिठास में बदल गए। तब नानक देव ने गोरखनाथ के शिष्यों को मीठे रीठों को कड़वा करने की चुनौती दी किंतु वह ऐसा नहीं कर पाए। इस चमत्कार के बाद सिद्धों ने हार मानकर गुरुनानक से क्षमा याचना की। गुरुद्वारा तब से आपसी एकता व सौहार्द की मिसाल बना हुआ है। भारत वर्ष ही नही अपितु विदेशों से भी यहा श्रद्वालु दर्शनों के लिए पहुंचते है।
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रीठासाहिब में सालाना जोड़ मेले में पहुंचने लगे यात्री
लोहाघाट: गुरुवार से आयोजित होने वाले जोड़ मेले में शिरकत करने देश के विभिन्न हिस्सों सहित प्रवासी भारतीय भी इस मेले में शिरकत करने के लिए रीठासाहिब पहुंचने लगे है। मंगलवार को यहां पंजाब, दिल्ली, बाजपुर, पीलीभीत, करनाल, काशीपुर, जसपुर, नानकमत्ता आदि स्थानों से सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। गुरुद्वारा प्रबंधक बाबा श्याम सिंह ने बताया कि मेला 16 मई से प्रारंभ होगा जिसका आगाज नानकमता के हेड ग्रंथी गुरमीत द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मेले के दौरान अखंड पाठ साहिब के आयोजन के साथ भजन कीर्तनों का आयोजन किया जाएगा। मेले की तैयारियों में बाहर से पहुंची संगतों व स्थानीय लोगों द्वारा गुरुद्वारे को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। साफ सफाई व लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। मेले को देखते हुए गुरुद्वारे को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
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तैयारियों पर प्रशासनिक की लापरवाही हावी
लोहाघाट: तीन दिनों तक चलने वाले जोड़ मेले की व्यवस्थाएं प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। जिस कारण स्थानीय लोगों व गुरुद्वारा प्रबंधक से जुडे़ लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी को आइना दिखाते हुए श्रद्धालु खुद ही व्यवस्थाओं में जुटे हुए है। मेले की तैयारियों पर प्रशासनिक लापरवाही हावी होती नजर आ रही है। बुधवार को एडीएम टीएस मिर्तोलिया, एसडीएम शिप्रा जोशी ने मेले की तैयारियों का जायजा लिया। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने अस्थायी शौचालय बनाने, गुरुद्वारे को जोड़ने वाले मार्गो को दुरस्त करने, बाजार में नालियों को ठीक करने, सुरक्षा के कडे़ इंतजाम करने की मांग की। उन्होंने ने संबंधी विभागों को शीघ्र व्यवस्थाओं को दुरस्त करने के निर्देश दिए।
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