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    Govardhan Puja 2022: गाय की पूजा कर मांगा सुख समृद्धि का आशीर्वाद, मंदिरों-घरों में हुई भगवान कृष्ण की आराधना

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Wed, 26 Oct 2022 04:03 PM (IST)

    Govardhan Puja 2022 लोगों ने मुख्य द्वार पार गोबर की लिपाई की और गोबर से गोवर्धन पर्वत (Govardhan Mountain) बनाकर भगवान श्रीकृष्ण की भी मूर्ति बनाई। भगवान को विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की। गायों को माला पहना कर गोवंश के संरक्षण का संकल्प लिया गया।

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    गांवों में गोवर्धन पड़वा (Govardhan Padwa) परंपरागत रूप से मनाया गया।

    जागरण संवाददाता, चंपावत : Govardhan Puja 2022: जनपद भर में गोवर्धन पर्व परंपरागत रूप से धूमधाम के साथ मनाया गया। गो पालकों ने गाय और गोवंश की पूजा-अर्चना कर आरती उतारने के साथ ही उन्हें पकवान खिलाए। इस मौके पर सुबह मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना का कार्यक्रम हुआ। भगवान श्रीकृष्ण की आराधना (Worship of Lord Krishna) की गई।

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    यहां परंपरागत तरीके से मना गाेवर्धन पड़वा

    सुबह से ही गोशालाओं में विशेष सफाई के बाद धूप दीप जलाकर गोवंश की पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा गया। जिला मुख्यालय के मादली, कनलगांव, चौकी, फूंगर, कुलेठी, ढकना बडोला, खर्ककार्की, मुडिय़ानी, चौकुनी, लटोली, सीलिंगटाक, बलानीबुंगा, दुधपोखरा, फुलारागांव, बाजरीकोट, सेट्यूड़ा, जूप, पवेत, त्यारकुड़ा, छतार, तिलौन सहित चाराल के गांवों में गोवर्धन पड़वा (Govardhan Padwa) परंपरागत रूप से मनाया गया।

    गोवंश के संरक्षण का लिया संकल्प

    लोहाघाट नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी गोवर्धन पूजा का पर्व परंपरागत रूप से मनाया गया। नगर और ग्रामीण इलाकों में गोवंश की पूजा-अर्चना कर उन्हें पकवान खिलाए गए। गायों को फूलों की माला पहना कर गोवंश के संरक्षण का संकल्प लिया गया।

    गोबर से बनाया गाेवर्धन पर्वत, श्रीकृष्ण की भी मूर्ति बनाई

    पाटी और बाराकोट के सभी गांवों में सुबह से ही इस पर्व को लेकर गृहिणियों में खासा उत्साह रहा। गोवंश को नहला धुलाकर कर उन्हें हरा चारा दिया गया। कई जगह लोगों ने मुख्य द्वार पार गोबर की लिपाई की और गोबर से गोवर्धन पर्वत (Govardhan Mountain) बनाकर भगवान श्रीकृष्ण की भी मूर्ति बनाई। भगवान को विभिन्न पकवानों का भोग लगाकर पूजा अर्चना की।

    घरों में गोबर से हुई लिपाई

    गोवर्धन पर्व पर घरों को गोबर से लीपने और गायों में तैंतीस कोटि देवताओं का वास मानकर उनकी पूजा करने की परंपरा है। इस परंपरा को लोगों ने कायम रखा। मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा में भी गोवर्धन पर पर गोवंश की पूजा अर्चना की गायों की सुरक्षा करने का संकल्प लिया गया।

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