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    कोर्ट की टिप्पणी मामले कानून से चलेंगे, बहुसंख्यक की राय से नहीं

    Updated: Thu, 29 May 2025 06:12 PM (IST)

    चंपावत में एक मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक हित निजी हित से ऊपर है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि किसी संगठन को सिर्फ इसलिए विरोध का अधि ...और पढ़ें

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    लोहाघाट एसडीएम ने बिना पक्षकार को सुने हथकरघा मेला रद करने का दिया था आदेश. Concept Photo

    जागरण संवाददाता, चंपावत। सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई में टिप्पणी करते हुए कहा कि सार्वजनिक हित, निजी हित से ऊपर हैं। किसी संगठन को केवल इस आधार पर विरोध का अधिकार नहीं है कि वह स्थानीय हैं और संख्या में अधिक हैं। यह ठीक नहीं कि जो लोग बड़े समूह में शामिल हैं वे मामले में हस्तक्षेप की धमकी दे रहे हैं।

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    कोर्ट ने प्रकरणों को बहुसंख्यक समूह की राय व सनक के बजाय कानून व शासन के अनुसार चलाने की बात कही। यह टिप्पणी पक्षकार को सुने बिना हथकरघा मेला रद करने संबंधी एसडीएम के आदेश पर आई है। कोर्ट ने एसडीएम से अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए टिप्पणी को ध्यान में रखकर 48 घंटे में कानूनी प्रक्रिया के तहत नया निर्णय देने का आदेश दिया है।

    जीआइसी लोहाघाट के मैदान में 25 मई से 13 जून तक हथकरघा मेला आयोजित होना था। संबंधित विभागों की अनापत्ति के बाद एसडीएम नितेश डांगर ने ऊधम सिंह नगर निवासी ताज मोहम्मद की फर्म को मेला लगाने की अनुमति प्रदान की थी। स्थानीय व्यापारियों के विरोध पर एसडीएम ने 22 मई को मेला रद करने का आदेश दे दिया था। ताज मोहम्मद ने आदेश को न्यायालय में चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें सुने बिना तीन दिन पहले मेला रद कर दिया।

    तब तक दुकानदार सामान लेकर लोहाघाट पहुंच गए थे। सामान लाने में दुकानदारों को धनराशि व्यय हुई है। न्यायालय ने कहा कि स्थानीय व्यापारियों के व्यापार पर प्रभाव की आशंका अनुमति रद करने की वजह नहीं हो सकती। निजी हित के लिए सार्वजनिक हितों की अनदेखी नहीं हो सकती। दुकानें लगाने वालों के साथ इससे स्थानीय लोगों को खरीददारी के रूप में लाभ होता। याची की ओर से अधिवक्ता यतीश जोशी ने पैरवी की।

    डीएम से मिलने पहुंच गए थे व्यापारी

    हथकरघा बाजार लगाने का व्यापारी शुरुआत से विरोध करते रहे। इसके पीछे बाहर के व्यापारियों की ओर से सस्ते सामान बेचने पर स्थानीय दुकानदारों को नुकसान होने का तर्क दिया गया। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने दो-तीन दिन एसडीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया।

    बाजार में संपर्क कर एकजुट होने की अपील की। बाजार लगने पर आंदोलन की चेतावनी दी। बाद में शिष्टमंडल डीएम से मिला। अंतत: एसडीएम ने व्यापारियों के विरोध व कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला देकर मेला रद करने का आदेश दे दिया। इसे कोर्ट ने गैर कानूनी व निजी हितों को सार्वजनिक हितों से ऊपर रखने वाला बताया।