दुष्कर्म मामले में 20 वर्ष की जेल, कोर्ट ने कहा- 'अवयस्क की सहमति लेकर शादी करने से कम नहीं होता अपराध'
चंपावत में पोक्सो कोर्ट ने किशोरी से दुष्कर्म के मामले में करन कश्यप को 20 वर्ष की जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने अभियुक्त को नाबालिग से विवाह करने पर दोषमुक्त करने से इनकार कर दिया। पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट ने अभियुक्त को सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से बालकों को लैंगिक शोषण से बचाने के प्रयासों को धक्का लगेगा।

जासं, चंपावत। विशेष सत्र न्यायाधीश पोक्सो की कोर्ट ने विधि के विपरीत जाकर अवयस्क की सहमति लेकर विवाह करने पर अभियुक्त को दोष मुक्त करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि इससे बालकों को उनके लैंगिक शोषण व उत्पीड़न से बचाने के प्रयासों को धक्का लगेगा। जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अभियुक्त को 20 वर्ष के कठोर कारावास व 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
पीड़िता की मां ने अक्टूबर 2023 में टनकपुर थाने में तहरीर देकर कहा था कि अभियुक्त उसकी नाबालिग बेटी को बहला फुसलाकर साथ ले गया है। विशेष सत्र न्यायाधीश अनुज कुमार संगल की कोर्ट में सामने आया कि अभियुक्त पीड़िता को अपने साथ पीलीभीत, बरेली, हरिद्वार व देहरादून ले गया। इस दौरान अभियुक्त ने पीड़िता से शारीरिक संबंध बनाए। हालांकि पीड़िता की मां ने शारीरिक संबंध बनने की बात से इनकार किया।
पीड़िता भी किसी तरह की जबरदस्ती होने से मना करती रही। पीड़िता ने कोर्ट में बताया कि मार्च 2025 में दोनों शादी कर चुके हैं। अभियुक्त को बचाने के लिए किया गया पीड़िता का यह बयान नहीं चला। स्कूल के प्रमाणपत्र के आधार पर कथित शादी की तिथि को भी पीड़िता 18 वर्ष से कम की थी।
मेडिकल रिपोर्ट से पीड़िता से संबंध बनने की पुष्टि हुई। जिसके आधार पर कोर्ट ने 22 वर्षीय करन कश्यप को 16 वर्ष से कम आयु की किशोरी से दुष्कर्म का दोषी ठहराया है। अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता केएस राणा ने पैरवी की।
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