Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चमोली में आदमखोर गुलदार हुआ ढेर, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

    By Edited By:
    Updated: Sun, 12 Jul 2020 01:22 PM (IST)

    नारायणबगड़ के गैरबारम गांव में आतंक का पर्याय बने आदमखोर गुलदार शिकारियों ने मार गिराया है। नरभक्षी के मारे जाने की सूचना के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।

    चमोली में आदमखोर गुलदार हुआ ढेर, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस

    नारायणबगड़(चमोली), जेएनएन। विकासखंड नारायणबगड़ के गैरबारम गांव में आतंक का पर्याय बने आदमखोर गुलदार शिकारियों ने मार गिराया है। नरभक्षी के मारे जाने की सूचना के बाद ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। गुलदार के शव को पोस्टमार्टम कर जला दिया गया है। वन क्षेत्राधिकारी जुगल किशोर चौहान के अनुसार गुलदार के शव का तीन चिकित्सकों की टीम से पोस्टमार्टम कराया गया। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पशु चिकित्साधिकारी डॉ. उदय शंकर गुप्ता के अनुसार यह मादा गुलदार थी तथा इसका वजन 40 किलो, उम्र सात वर्ष और लंबाई 6.50 मीटर है। वन क्षेत्राधिकारी जुगल किशोर चौहान के अनुसार 30 मई को नारायणबगड़ विकास खंड के मलतुरा गांव के मैगेटी तोक में गुलदार ने आंगन से चार वर्षीय मासूम बच्चे को अपना पहला शिकार बनाया था। आदमखोर गुलदार ने घटना के ठीक एक माह बाद 30 जून को मलतुरा गांव के पास ही गैरबारम गांव के हरीढ़ोन तोक में 11 वर्षीय बच्ची दृष्टि को अपना निवाला बना लिया था। 

    गुलदार को बदरीनाथ वन प्रभाग ने आदमखोर घोषित कर शिकारी लखपत रावत और जॉय हुकील को आदमखोर गुलदार के खात्मे की जिम्मेदारी सौंपी थी। लगातार 12 दिनों तक आदमखोर की पहचान के बाद शिकारी जॉय हुकील ने शुक्रवार शाम 7.15 बजे आदमखोर गुलदार को गोली का निशाना बनाकर उसके आतंक का खात्मा किया।

    गैरसैंण निवासी शिकारी लखपत सिंह अब तक 53 गुलदार और पौडी निवासी जॉय हुकिल 37 आदमखोर गुलदारों का खात्मा कर चुके हैं। मुंह का स्वाद बदलने से आदमखोर हुआ गुलदार: शिकारी लखपत सिंह का कहना है कि सबसे पहले आदमखोर गुलदार को पहचाने की चुनौती है। उनका कहना है कि कुछ कारण से जानवर आदमखोर होते हैं, जिसमें शिकार करने में असमर्थ होना, आहार परिवर्तन आदि कारणों को ध्यान में रखते हुए वे उसकी निगरानी करते हैं। 

    आदमखोर होने के बाद गुलदार की सोचने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है, शिकारी जॉय हुकिल के अनुसार वे केवल उसी गुलदार को अपना शिकार बनाते हैं, जो कि नरभक्षी है। हर गुलदार आदमखोर नहीं होते हैं, लेकिन यदि शिकार की तलाश में अचानक कोई मनुष्य सामने आ जाए तो वह उसका शिकार करते हैं और इससे उनका जायका बदल जाता है। गुलदारों की लगातार बढ़ती तादाद और जंगलों में आहार कम होने पर भी गुलदार मानव बस्ती में पहुंच कर हमला करते हैं। मारा गया गुलदार भी स्वाद परिवर्तन के चलते आदमखोर हुआ था। 

    यह भी पढ़ें: एक माह में दो महिलाओं को मारने वाला गुलदार आदमखोर घोषित, दो शिकारियों को किया तैनात 

    गुलदार ने प्रधान के सामने ही बेटी को मार डाला

    ग्राम प्रधान गैरबारम मधु देवी के अनुसार उनकी आंखों के सामने गुलदार ने हमला कर उनकी बेटी को मार डाला था। ग्राम प्रधान को सुकून है कि अब गुलदार के आतंक से निजात मिली है।

    यह भी पढ़ें: चमोली में आतंक का पर्याय बने तेंदुए को किया ढेर

    comedy show banner
    comedy show banner