इस पत्थर से जुड़ी है भगवान नारायण की ये अद्भुत कहानी, जानिए
भगवान नारायण के जन्मस्थल पर अब मंदिर का निर्माण किया जाएगा। जिसकी जिम्मेदारी एक श्रद्धालु ने ली है।
गोपेश्वर, [हरीश बिष्ट]: बदरीनाथ धाम स्थित भगवान नारायण के जन्म स्थान लीलाडुंगी में अब भव्य मंदिर निर्माण की पहल हुई है। इस मंदिर का निर्माण एक शख्स के दान से किया जा रहा है। फिलहाल, शख्स ने अपना नाम गुप्त रखा है।
बदरीनाथ धाम में नारायण पर्वत के पास बामणी गांव में लीलाडुंगी नामक स्थान है। जिसे लेकर पौराणिक मान्यता है कि यहां स्थित पत्थर पर ही भगवान नारायण ने जन्म लिया था। इस स्थल पर पीढ़ियों से पूजा-अर्चना की जाती रही है। साथ ही इस इसकी महत्ता को देखते हुए यहां बोर्ड लगाने के अलावा घेरबाड़ भी की गई है। लेकिन मंदिर न होने से आम श्रद्धालु आज भी इस स्थान से अंजान हैं।
इसी को देखते हुए एक श्रद्धालु ने लीलाडुंगी में मंदिर बनाने की पहल की है। बामणी गांव की भूमि पर इस मंदिर का निर्माण होगा। इसके लिए गांव के लोगों में सहमति बन चुकी है। बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल बताते हैं कि लीलाडुंगी में भगवान नारायण ने बाल-लीला रचकर भगवान शंकर व माता पार्वती का मन मोह लिया था।
लीलाडुंगी की धार्मिक मान्यता के अनुसार यहां भगवान नारायण बालक रूप धारण कर शिला पर बैठ जोर-जोर से रोने लगे। इस दौरान भगवान शंकर व माता पार्वती इस क्षेत्र में विचरण कर रहे थे। बच्चे के रोने की आवाज सुनकर माता पार्वती का दिल पसीज गया और वह भगवान शंकर के लाख मना करने पर भी बच्चे को गोद में लेकर घर ले आईं। जैसे ही बालक रूपी भगवान नारायण को माता पार्वती मां ने मंदिर में बिठाया, वैसे ही वे सो गए ।
मान्यता है कि जब भगवान शंकर व माता पार्वती घूमकर आए तो मंदिर का दरवाजा अंदर से बंद मिला। भगवान नारायण की लीला भगवान शंकर तो पहले ही समझ गए थे। अब माता पार्वती को इसका भान हो गया। 'स्कंद पुराण' के केदारखंड में उल्लेख है कि इसके बाद भगवान शंकर व माता पार्वती को अपना निवास केदारनाथ में बनाना पड़ा।
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