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    Navratri 2025: उत्‍तराखंड के इस मंदिर में देवी संग विराजमान शिव परिवार, नवरात्र में फलदायक होते हैं दर्शन

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 05:59 PM (IST)

    कर्णप्रयाग स्थित उमा देवी मंदिर 18वीं सदी में स्थापित है। यहाँ 12वीं-13वीं सदी की मूर्तियां हैं। मान्यता है कि यहां उमा देवी ने शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। मंदिर में उमा-शिव परिवार एक साथ विराजमान हैं जिनके दर्शन फलदायी माने जाते हैं। हर 12 वर्ष में देवी पैदल यात्रा पर निकलती हैं। नवरात्र में विशेष पूजा होती है।

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    उमा देवी मंदिर के गर्भगृह में विराजमान है शिव परिवार। जागरण

    कालिका प्रसाद, जागरण कर्णप्रयाग। बदरीनाथ राजमार्ग पर स्थित पंचप्रयागों में प्रमुख कर्णप्रयाग का उमा देवी मंदिर 18वीं सदी में स्थापित माना जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थित कालेप्रस्तर की प्रतिमाएं 12वीं और 13वीं सदी की हैं। इस आध्यात्मिक स्थल की विशेषता यह है कि यहां उमा-शिव परिवार एक साथ विराजमान हैं और देवी के दर्शन फलदायी माने जाते हैं।

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    मान्यता है कि यहां देवी उमा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। स्कंदपुराण के केदारखंड में उल्लेख है कि अलकनंदा और पिंडर तट पर उमा ने शिव का तप किया और कालांतर में यह स्थान दानवीर कर्ण के नाम से कर्णप्रयाग कहलाया। आध्यात्मिक दृष्टि से यह तीर्थस्थल उमा महोश्वर मंदिर से जुड़ा हुआ है।

    संगम के उत्तरी भाग में स्थित मंदिर का उर्ध्वखंड वंदीबंद, कपोलपट्टीयुक्त तीरथ रेखा नागर शैली में निर्मित है। संगभग मुद्रा में द्विभुजी उमा की प्रतिमा अध: परिधान में सुसज्जित है, जिसके दोनों ओर जय और विजय का अंकन है। इस शैली के आधार पर प्रतिमा 13वीं सदी की मानी जाती है। गर्भगृह में दुर्गा, सूर्य, गणेश, कार्तिकेय, कर्ण, त्रिशूलधारी शिव, भैरव और नंदी की भी प्रस्तर प्रतिमाएं हैं।

    कर्णप्रयाग के सांकरी तोक में अवतरित हुईं मां उमा

    माना जाता है कि मां उमा कर्णप्रयाग के सांकरी तोक में अवतरित हुईं। डिम्मर गांव के वृद्ध को स्वप्न में देवी ने दर्शन देकर डोली पदयात्रा का वचन दिया। तब से हर 12 वर्ष में देवी ध्याणियों को आशीर्वाद देने पैदल यात्रा पर निकलती हैं। इस यात्रा में डिमरी समुदाय, मैती और कपीरीवासी ससुराली का दायित्व निभाते हैं।

    ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से मंदिर का महत्व अत्यधिक है। यहां शिव परिवार गर्भगृह में विराजमान है और मां उमा देवी के दर्शन मात्र से ही फलदायी अनुभव होते हैं। वर्षभर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुले रहते हैं। ज्येष्ठ माह में देवी को भोग लगाने की रस्म होती है और नवरात्र पर विशेष पूजा के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। - नरेश पुजारी, मंदिर पुजारी उमा मंदिर, कर्णप्रयाग

    कर्णप्रयाग स्थित उमा देवी मंदिर के दर्शन मन को शांत करते हैं। जो भी सच्चे मन से माता के दरबार में फरियाद करता है देवी उसकी झोली खाली नहीं रखती। मंदिर के अध्यात्म महत्व को देखते हुए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं। - कमलेश बिष्ट, स्थानीय निवासी, कर्णप्रयाग