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    ...तो क्‍या सच में उत्‍तराखंड में मिला चार सिंह वाला खाडू? नंदादेवी राजजात यात्रा से जुड़ी है अद्भुत परंपरा

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 13 Jul 2025 12:40 PM (IST)

    नंदा देवी राजजात यात्रा के आयोजन में एक साल बाकी है लेकिन इंटरनेट पर एक वायरल पोस्ट से आयोजक नाराज हैं। पोस्ट में दावा किया है कि यात्रा का नेतृत्व करने वाला चौसिंग्या खाडू पैदा हो गया है। आयोजकों का कहना है कि पंचांग जारी होने के बाद ही चौसिंग्या का चयन होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चौसिंग्या खाडू को मां नंदा का देव रथ माना जाता है।

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    चौैसिंग्या खाडू पैदा होने की खबर कांसुवा राजवंशियों को देने की है परंपरा. Photo GMVN

    संवाद सहयोगी, जागरण कर्णप्रयाग। नंदादेवी राजजात यात्रा आयोजन में अभी सालभर का समय शेष है। ऐसे में यात्रा के मुख्य और दुर्गम पड़ावों पर आवश्यक सुविधाओं के साथ यात्रा को पर्यटन की दृष्टि से विश्व मानचित्र पर लाने के साथ ही यात्रा को जीवंत रखने के लिए दस्तावेज तैयार करने को लेकर नंदादेवी राजजात यात्रा समिति द्वारा सरकार से मांग की जा रही है। इस दौरान इंटरनेट पर वायरल पोस्ट से आयोजकों में नाराजगी है।

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    दरअसल इंटरनेट पर एक पोस्ट तेजी से वायरल है कि अगले साल 2026 में एशिया की सबसे बड़ी नंदादेवी राजजात पैदल यात्रा की अगुवाई करने वाले चौसिंग्या खाडू (चार सिंग वाला मेंढ़ा) कर्णप्रयाग के कांसुवा गांव में पैदा हो गया है जो यात्रा का पांचवा पड़ाव है।

    तेजी से खबर को हजारों की संख्या में लोगों द्वारा साझा किया जा रहा है और आस्था के साथ लोगों में उत्साह भी बना है। मोबाइल के जरिए लोग जानकारी ले रहे हैं और आयोजन समिति पदाधिकारियों से भी जानकारी देश-विदेश के श्रद्धालु ले रहे हैं। लेकिन पौराणिक परंपरा के अनुसार नंदादेवी राजजात यात्रा पंचाग के जारी होने के बाद क्षेत्र में पैदा चौसिंग्या खाडू की यात्रा का अगुवाई करने की परंपरा में शामिल होता है।

    यात्रा के दौरान राजवंशियों को ग्रामीणों द्वारा ऐसे चौसिंग्या खाडू की जानकारी दी जाने का विधान है। जिसपर उसका पूजन होता है और वह देवी को समर्पित माना जाता है। इस दौरान राजवंशियों द्वारा देवी को अर्पित होने वाले चौसिंग्या को जरूरी दिशा-निर्देश दिए जाते हैंं, जिससे आने वाले समय में आयोजित होने वाले देव अनुष्ठान में कोई अनहोनी न हो।

    नंदादेवी राजजात यात्रा का पंचाग जारी होने के उपरांत पैदा हुआ चौसिंग्या ही इसके लिए धार्मिक परंपरा के अनुसार चयनित होता है।

    नंदादेवी राजजात यात्रा में हमें राजवंशियों से जो जिम्मेदारी मिली है। उसका पालन शास्त्र अनुसार होना है। हम नंदा के सेवक के रूप में इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैंं। नंदादेवी राजजात यात्रा की अगुवाई में चौसिंग्या खाडू पैदा होने की जानकारी उनके संज्ञान में नहीं है। इंटरनेट मीडिया से पूर्व अब तक आयोजित यात्राओं में पहले लोग राजवंशियों को इसकी सूचना देने पहुंचते थे और यह तभी होता था जब मौडवी पूजा हो चुकी हो और राजजात यात्रा का पंचाग जारी हो जाता है। जिसमें अभी समय है। अगले साल यात्रा का पंचांग वसंत पंचमी पर 23जनवरी को संभावित है।  ऐसे में अधूरी जानकारी के साथ भव्य अनुष्ठान में सटीक प्रमाणिक जानकारी जरूरी है। - डा. राकेश कुंवर, अध्यक्ष नंदादेवी राजजात समिति

    मां नंदा का देव रथ

    ऐसे में धार्मिक मान्यता के अनुसार चौसिंग्या खाडू को मां नंदा का देव रथ माना जाता है। यह 12 वर्ष में नंदा देवी के मायके के क्षेत्र में पैदा होता है और यात्रा में खाडू की पीठ पर मां नंदा को कलेऊ सहित श्रंगार सामग्री भेंट कर सजाने के बाद कैलाश विदा करने की परंपरा होती है। खाडू को पूजा-अर्चना के बाद कैलाश के लिए अकेले ही रवाना कर दिया जाता है।