ब्रिडकुल पर टिका है ज्योतिर्मठ-औली रोपवे का भविष्य, जनवरी 2023 में हुए हादसे के बाद से बंद है काम-काज;
आपदा के दो साल बाद भी जोशीमठ-औली-रोपवे शुरू नहीं हो पाया है। अब इसकी जिम्मेदारी ब्रिडकुल को सौंपी गई है। ब्रिडकुल के सर्वेक्षण और कार्ययोजना पर ही इसका भविष्य टिका है। रोपवे के शुरू होने से औली पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यात्रियों को सड़क जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी। यह कब खुलेगा यह तो फिलहाल तय नहीं है लेकिन इससे औली का पर्यटन जरूर प्रभावित हुआ है।

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर। आपदा के दो वर्ष बाद भी ज्योतिर्मठ से विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग स्थल औली को जोड़ने वाला रोपवे सुचारु नहीं हो पाया है। रोपवे कब खुलेगा, यह तो फिलहाल तय नहीं है, लेकिन इसके बंद पड़े होने से औली का पर्यटन जरूर प्रभावित हो रहा है।
अब रोपवे के निरीक्षण व सर्वेक्षण के साथ संचालन के लिए कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी ब्रिडकुल को सौंपी गई है। उसी की रिपोर्ट पर इसका भविष्य तय होगा।
ज्योतिर्मठ-औली रोपवे ने औली के विकास और ज्योतिर्मठ को पर्यटन नगरी के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। बर्फबारी के दौरान तो औली आवाजाही के लिए यह रोपवे ही एकमात्र साधन था। रोपवे के संचालन से पर्यटन विभाग व गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) को अच्छी-खासी आमदनी भी होती थी।
लेकिन, दो जनवरी 2023 से ज्योतिर्मठ में भूधंसाव शुरू होने पर पांच जनवरी से इसका संचालन बंद कर दिया गया। क्योंकि, भूधंसाव के चलते ज्योतिर्मठ में रोपवे संचालन केंद्र और टावर नंबर एक से लेकर तीन तक के आसपास दरारें आ गई थीं।
इसके बाद से त्वरित सुरक्षा के तहत जीएमवीएन ने इन टावरों पर रोप सपोर्ट ब्रेकेट लगाए हुए हैं। रस्सों में दिए गए तनाव भी तभी हटा दिए गए थे। हालांकि, दो साल के इस लंबे अंतराल में टावर या फिर आपरेशन कार्यालय को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
रोपवे की तकनीकी जांच के लिए नियुक्त नोडल एजेंसी लोनिवि का कहना है कि आपदा के बाद विज्ञानियों की रिपोर्ट में भी रोपवे को लेकर सुझाव दिए गए हैं।
इसी आधार पर रोपवे के सर्वेक्षण व संचालन के लिए कार्ययोजना तैयार करने की जिम्मेदारी पुल, रोपवे, सुरंग और अन्य अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (ब्रिडकुल) को सौंपी गई है। लोनिवि का तर्क है कि रोपवे का संचालन करने वाला पर्यटन विभाग व जीएमवीएन कोई विशेषज्ञ एजेंसी नहीं हैं।
इसलिए इसका सुरक्षा सर्वे और संचालन के लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट ब्रिडकुल से तैयार कराई जा रही है। वहीं, जीएमवीएन ज्योतिर्मठ के रोपवे प्रबंधक दिनेश भट्ट ने बताया कि ब्रिडकुल के अधिकारी रोपवे का सर्वेक्षण कर चुके हैं। अब उसकी कार्ययोजना पर ही रोपवे का भविष्य टिका हुआ है।
ज्योतिर्मठ-औली रोपवे पर एक नजर
- 4.15 किमी लंबे ज्योतिर्मठ-औली पैसेंजर रोपवे की आधारशिला वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अभिभाजित उत्तरप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल बोरा ने रखी थी।
- जिग-जैक तकनीक से यह रोपवे वर्ष 1994 में बनकर तैयार हुआ।
- दस टावर वाले इस रोपवे में आठ नंबर टावर पर पर्यटकों के लिए उतरने-चढ़ने की व्यवस्था है।
- रोपवे का सबसे निचला टावर 6,150 फीट और ऊपरी टावर 10,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
- इससे औली जाने में 25 मिनट और वापसी में 22 मिनट का समय लगता है।
- रोपवे में दो ट्राली हैं, जिनमें 25-25 लोग एक साथ आवाजाही कर सकते हैं।
- शेड्यूल के अनुसार रोपवे से आम दिनों में प्रतिदिन 450 लोग सफर करते हैं, जबकि बड़े आयोजनों के दौरान यह संख्या दो हजार से ऊपर पहुंच जाती है।
सड़क मार्ग पर जाम की समस्या से परेशान पर्यटक
ज्योतिर्मठ से औली तक 14 किमी क्षेत्र में सिंगल लेन सड़क होने से आए दिन जाम की स्थिति रहती है। रोपवे से पर्यटकों की आवाजाही के दौरान सड़क मार्ग पर ट्रैफिक का दबाब भी कम रहता था, लेकिन बीते दो साल से औली के लिए सड़क मार्ग ही एकमात्र रास्ता है।
दिसंबर से फरवरी तक बर्फबारी के दौरान सड़क मार्ग बंद होने से औली के लिए आवाजाही बाधित हो जाती है। हालांकि, इस बार प्रशासन ने सड़क खोलने के साथ फोर बाई फोर वाहनों से औली के लिए आवाजाही कराई थी। सड़क मार्ग के चौड़ीकरण को लेकर भी बीआरओ को 90 करोड़ रुपये की दरकरार है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।