Joshimath Sinking: दो जोन में बंटा जोशीमठ, दरार वाले 678 भवन चिह्नित, अब तक 81 परिवार स्थानांतरित
Joshimath Sinking संकटग्रस्त परिवारों को डेंजर जोन घोषित किए गए चार वार्डों से निकालने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। टूट रहे घरों को छोड़ने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। इसके बाद इन भवनों से परिवारों को एसडीआरएफ खुद शिफ्ट करेगी।
संवाद सहयोगी, जोशीमठः Joshimath Sinking: जोशीमठ में भवनों, दुकानों और सड़कों पर दरारों के बढ़ते सिलसिले के बीच मशीनरी ने संकटग्रस्त परिवारों को डेंजर जोन घोषित किए गए चार वार्डों से निकालने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। इसके लिए राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) को मोर्चे पर उतारा गया है।
सोमवार को एसडीआरएफ की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर दरारों का जायजा लिया और वहां रह रहे परिवारों से राहत शिविरों में या अन्य सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की।
टूट रहे घरों को छोड़ने के लिए तीन दिन का समय दिया गया है। इसके बाद इन भवनों से परिवारों को एसडीआरएफ खुद शिफ्ट करेगी। यह सख्ती इसलिए बरती जा रही है, जिससे भूधंसाव के कारण किसी तरह का जानमाल का नुकसान न होने पाए।
भूधंसाव के कारणों की जांच और आपदा राहत में मदद करेगा एनडीएमए
जोशीमठ के भूधंसाव से उत्पन्न स्थिति से निबटने के लिए केंद्र सरकार भी सक्रिय हो गई है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) जोशीमठ की स्थिति और वहां उठाए जा रहे कदमों पर नजर रखे है।
सोमवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की टीम ने जोशीमठ का निरीक्षण करने के बाद शाम को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर स्थिति पर विमर्श किया।
एनडीएमए ने भूधंसाव के कारणों की जांच और आपदा राहत में वित्तीय सहयोग का भरोसा दिलाया। साथ ही सुझाव दिया कि जोशीमठ के भूधंसाव क्षेत्र में पानी कहां रुका हुआ है और भूधंसाव के कारण क्या हैं, इसका पता लगाया जाना जरूरी है। इसके लिए सभी संबंधित संस्थानों के विज्ञानियों का सहयोग लिया जाना चाहिए, ताकि समस्या का स्थायी समाधान हो। साथ ही पुनर्वास को चयनित स्थलों के भी भूगर्भीय सर्वेक्षण पर ध्यान देने पर जोर दिया।
डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया
विशेषज्ञों के अध्ययन के बाद सरकार ने यहां करीब डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र को आपदाग्रस्त घोषित किया है। इसके साथ ही नगर के चार वार्डों (गांधीनगर, सिंहधार, मनोहर बाग और सुनील) को असुरक्षित घोषित करते हुए सुरक्षा की दृष्टि से तत्काल खाली कराने का आदेश दिया गया है। इन चार वार्डों में अब तक 360 भवन चिह्नित किए जा चुके हैं, जो रहने लायक नहीं रह गए हैं।
असुरक्षित भवनों के चिह्नीकरण का कार्य अभी जारी है। सरकार के आदेश के क्रम में प्रशासन ने इन भवनों को खाली कराने के लिए धरातल पर कसरत शुरू करते हुए सोमवार को एसडीआरएफ की 60 सदस्यीय टीम मैदान में उतार दी।
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इस टीम के सदस्यों ने छोटी-छोटी टुकड़ियों में प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर जाकर हालात का जायजा लिया। वहां रह रहे प्रभावितों की पीड़ा भी सुनी। उन्हें समझाया कि इन घरों में रहना सुरक्षित नहीं है। इसलिए अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिए जल्द से जल्द घर को खाली कर दें।
प्रशासन ने उनके ठहरने के लिए होटल, गेस्ट हाउस, होम स्टे आदि में व्यवस्था की है। इस दौरान कुछ परिवारों ने घर छोड़ने से इन्कार किया तो जवानों ने बताया कि तीन दिन बाद जबरन उनको वहां से शिफ्ट कर दिया जाएगा। इस संबंध में प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवारों को नोटिस भी दिया गया है।
खाली हो चुके घरों में किसी भी तरह की आवाजाही न हो, इसके लिए घरों के बाहर एसडीआरएफ के जवान तैनात किए गए हैं। इनके स्वामियों को सख्त हिदायत दी गई है कि अकेले घर में न जाएं। अगर उन्हें कोई सामान आदि लेने घर में जाना है तो पहले पुलिस को सूचित करना होगा। सुरक्षा की दृष्टि से साथ में पुलिस बल भी भेजा जाएगा।
दरार वाले 678 भवन किए जा चुके चिह्नित
भूधंसाव से प्रभावित क्षेत्र में अब तक 678 भवन चिह्नित किए गए हैं, जिनमें दरारें आई हैं। रविवार तक यह संख्या 603 थी, सोमवार को सर्वे को आगे बढ़ाते हुए प्रशासन ने दरार वाले 75 और भवन चिह्नित किए। ये वो भवन हैं, जो रहने लायक नहीं रह गए हैं। इन सभी भवनों को खाली कराया जाना है। इनमें कुछ भवन ऐसे हैं, जो गंभीर श्रेणी में हैं। ऐसे भवनों पर लाल निशान लगाया जा रहा है। इन भवनों को पहले खाली कराया जाएगा।
दरारों की निगरानी कर रही एसडीआरएफ
भवनों में दरारों की चौड़ाई बढ़ रही है या नहीं, एसडीआरएफ इसका अध्ययन भी कर रही है। इसके लिए भवनों में आई दरारों को नापकर उनकी चौड़ाई दर्ज की जा रही है। नियमित अंतराल में इन दरारों को फिर से नापा जा रहा है। इससे यह भी पता चल सकेगा कि नगर के किस हिस्से में दरारें तेजी से चौड़ी हो रही हैं और किस हिस्से में इनमें स्थायित्व है।
दो जोन में बांटा गया शहर
सुरक्षात्मक कार्यों के लिए प्रशासन ने नगर को कोर जोन और बफर जोन में बांटा है। जोन के हिसाब से ही भवनों का चिह्नीकरण और ध्वस्तीकरण किया जाएगा। कोर जोन में डेंजर जोन घोषित किए जा चुके चार वार्डों गांधीनगर, परसारी, सुनील और मनोहर बाग को रखा गया है।
यहां चिह्नित किए गए दरार वाले भवनों में सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त 86 भवनों पर लाल निशान लगाए गए हैं। इन भवनों को पहले ध्वस्त किया जाएगा। नगर के शेष नौ वार्डों को बफर जोन में रखा गया है। इस जोन में भी दरार वाले भवनों का चिह्नीकरण जारी है।
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