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    Auli Ropeway: जोशीमठ भूधंसाव से एशिया के सबसे लंबे रोपवे को खतरा, टावरों के दोनों रस्सों से तनाव हटाया

    By Devendra rawatEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Fri, 27 Jan 2023 11:35 AM (IST)

    Auli Ropeway भूधसांव के चलते जोशीमठ शहर लगातार धंस रहा है। इससे एशिया के सबसे लंबे जोशीमठ-औली रोपवे को भी खतरा पैदा हो गया है। इसे देखते हुए सरकार ने रोपवे की सुरक्षा पुख्ता करने को कवाद शुरू कर दी है।

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    Auli Ropeway: भूधसांव के चलते जोशीमठ-औली रोपवे को भी खतरा पैदा हो गया है।

    देवेंद्र रावत, जोशीमठ: Auli Ropeway: भूधसांव के चलते जोशीमठ शहर लगातार धंस रहा है। इससे एशिया के सबसे लंबे जोशीमठ-औली रोपवे को भी खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, अभी रोपवे संचालन केंद्र और टावर सुरक्षित हैं, लेकिन इनके आसपास भूधंसाव देखा गया है।

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    संचालन केंद्र से कुछ दूरी पर चारों ओर जमीन धंस रही है और रोपवे के टावर नंबर एक से लेकर तीन तक के आसपास भी दरारें दिख रही हैं। इसे देखते हुए सरकार ने रोपवे की सुरक्षा पुख्ता करने को कवाद शुरू कर दी है।

    इसके तहत एक से तीन नंबर तक के टावर में रोप सपोर्ट ब्रेकेट लगाने का कार्य किया जा रहा है, ताकि खतरा पैदा होने पर टावर सुरक्षित रहें। साथ ही रोपवे के रस्सों पर डाले गए तनाव को भी हटा दिया गया है। सुरक्षा को देखते हुए बीती दो जनवरी से रोपवे का संचालन बंद है।

    रोपवे के प्रबंधक संचालक की ओर से भेजी गई रिपोर्ट

    भूधंसाव के चलते रोपवे परिसर में पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव के संबंध में रोपवे के प्रबंधक संचालक की ओर से देहरादून स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के महाप्रबंधक (परियोजना एवं प्रशासन) को रिपोर्ट भेजी गई है। रिपोर्ट के अनुसार 23 जनवरी को लोनिवि की ओर से किए गए रोपवे भवन व परिसर के सर्वे में स्थिति सामान्य पाई गई।

    भवन व परिसर को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। बताया गया कि पहले तीन टावरों में रोप सपोर्ट ब्रेकेट लगान कार्य किया जा रहा है। ऐसे में टावरों के भूधंसाव की चपेट में आने पर भी वे तिरछे नहीं होंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि तीनों टावरों के बेस व जमीन पूरी तरह सही स्थिति में है।

    उधर, सूत्रों ने बताया गया कि टावरों की सुरक्षा के मद्देनजर रोपवे के दोनों रस्सों से तनाव को हटा दिया गया है। दरअसल, रस्सों में तनाव लाने के लिए रोपवे के दोनों ओर वजन डाला गया है, जिसे फिलहाल हटा दिया गया। ऐसे में यदि भूधंसाव के कारण कोई टावर तिरछा होता है तो अन्य टावरों पर खिंचाव नहीं आएगा और वे सुरक्षित रहेंगे।

    जोशीमठ-औली रोपवे पर एक नजर

    • 4.15 किमी लंबे जोशीमठ-औली पैसेंजर रोपवे की आधारशिला वर्ष 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और अभिभाजित उत्तरप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल बोरा ने रखी थी।
    • जिग-जैक तकनीक से बना यह रोपवे वर्ष 1994 में बनकर तैयार हुआ।
    • इसे अब तक एशिया का सबसे लंबा रोपवे माना जाता है, जो 6150 फीट पर स्थित जोशीमठ को 9200 फीट से लेकर 10500 फीट तक की ऊंचाई पर स्थित विश्व प्रसिद्ध स्कीइंग केंद्र औली से जोड़ता है।
    • दस टावर वाले इस रोपवे में आठ नंबर टावर पर पर्यटकों के लिए उतरने-चढ़ने की व्यवस्था है।
    • रोपवे का सबसे निचला टावर 6150 फीट पर और ऊपरी टावर 10200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
    • जोशीमठ से औली जाने में करीब 25 मिनट और वापस लौटने में 22 मिनट का समय लगता है।
    • रोपवे में दो ट्राली हैं, जिनमें 25-25 पर्यटक एक साथ आवाजाही कर सकते हैं।
    • शेड्यूल के अनुसार रोपवे से आम दिनों में रोजाना 450 लोग सफर करते हैं, जबकि बड़े आयोजनों के दौरान यह संख्या प्रतिदिन दो हजार के आसपास रहती है।

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