Chamoli: अलकनंदा में दो हिमखंडों के अंदर से बह रही नदी बना आकर्षण केंद्र, लेकिन मई-जून में नहीं होंगे इनके दीदार
पांडुकेश्वर से बदरीनाथ के बीच 12 किमी क्षेत्र में हर बार विनायक चट्टी पागलनाला रंडागबैंड कंचनगंगा हनुमान चट्टी सहित सात स्थानों पर हिमखंड रहते थे। इस बार सिर्फ रडांगबैंड व पागनाला कंचनगंगा आदि दो स्थानों पर ही हिमखंड मौजूद हैं जो तेजी से पिघल रहे हैं। हालांकि यात्री बदरीनाथ धाम की चोटियों में मौजूद बर्फ को देखकर खासे उत्साहित हो रहे हैं।
जगजीत मेहता, बदरीनाथ। इस बार बदरीनाथ यात्रा दर्शनों के दौरान यात्रियों का मई, जून की चिलचिलाती गर्मी से स्वागत करने वाले हिमखंड नदारद हैं। हालांकि अलकनंदा नदी में दो हिमखंडों के अंदर से नदी बह रही है, जो आर्कषण का केंद्र बने हैं। हालांकि जिस प्रकार से गर्मी बढ़ रही है, उससे लग रहा है कि यह भी कुछ दिन बाद गायब हो जाएंगे।
पांडुकेश्वर से बदरीनाथ के बीच 12 किमी क्षेत्र में हर बार विनायक चट्टी, पागलनाला, रंडागबैंड, कंचनगंगा, हनुमान चट्टी सहित सात स्थानों पर हिमखंड रहते थे। इस बार सिर्फ रडांगबैंड व पागनाला कंचनगंगा आदि दो स्थानों पर ही हिमखंड मौजूद हैं जो तेजी से पिघल रहे हैं। हालांकि यात्री बदरीनाथ धाम की चोटियों में मौजूद बर्फ को देखकर खासे उत्साहित हो रहे हैं।
शीतकाल में इस बार देर से हुई थी बर्फबारी
अलकनंदा नदी में रंडागबैंड के नीचे, देवदर्शनी के नीचे लगभग 200 मीटर हिमखंड के नीचे से बह रही है जिसे देखकर यात्री रोमांचित हो रहे हैं। शीतकाल में इस बार देर से बर्फबारी हुई थी। फरवरी में भारी बर्फबारी तो हुई लेकिन देर से पड़ी बर्फ में पानी की मात्रा ज्यादा होने के चलते वह बड़े हिमखंडों का रूप नहीं लेती है।
यही कारण है कि इस बार पांडुकेश्वर से बदरीनाथ के बीच हिमखंडों का दीदार सिर्फ दो ही जगह में हो रहा है। पांडुकेश्वर गांव के 90 वर्षीय राम सिंह भंडारी का कहना है कि कई वर्षों बाद हिमखंड गायब हैं। कहा कि दिसंबर जनवरी में अगर भारी बर्फबारी होती तो हिमखंड का रूप लेती।
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