coronavirus से जंग में कॉपी का कवर भी आया काम, महिला चिकित्सा कर्मियों ने तैयार की ये जरूरी चीज
कोरोना से संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे स्टाफ नर्स और चिकित्सा कर्मियों ने बच्चों की किताब-कॉपी में जिल्द के रूप में प्रयोग किए जाने प्लास्टिक वाले कवर से फेस कवर तैयार किया है।
गोपेश्वर(चमोली), जेएनएन। कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। खासकर संसाधनों की कमी के दौरान ऐसा कोई अविष्कार हो जाए, जिससे न केवल जरूरी मदद मिले, बल्कि यह कारगर भी साबित हो तो इसकी अहमियत काफी बढ़ जाती है। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे कोविड-19 जिला चिकित्सालय की स्टॉफ नर्स और चिकित्सा कर्मियों ने बच्चों की किताब-कॉपी में जिल्द के रूप में प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक कवर से फेस कवर तैयार किया है। सीएमओ डॉ. केके सिंह ने भी इसकी सराहना की है।
जिला अस्पताल को कोरोना संभावित मरीजों के इलाज के लिए तैयार किया गया है। हालांकि अभी तक जिले में कोई भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं है। लेकिन, एहतियात के तौर पर अब तक 16 संदिग्ध मरीजों को यहां भर्ती किया जा चुका है, जिसमें 13 के सैंपल नेगेटिव आने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है। लेकिन, नर्स सहित अन्य स्टाफ जो यहां देखभाल कर रहे हैं उनके पास अपनी सुरक्षा के लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं। सिर्फ आइसोलेशन वॉर्ड में जाने के दौरान ही उन्हें पीपीई किट प्रयोग करनी होती है। इसके अलावा पूरे जिला चिकित्सालय में मौजूद अन्य चिकित्सा स्टाफ के पास पीपीई किट नहीं है। बचाव के लिए चिकित्सा स्टाफ दस्ताने, कपड़ों से अपना शरीर ढककर रखते हैं। फेस ढंकने के लिए उनके पास कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी।
जिला चिकित्सालय की नर्स दीपा, पार्वती और अनुराधा ने घर में ही अपने संसाधनों से बच्चों के कापी, किताबों पर प्लास्टिक कवर से फेस कवर बनाया है। यह इतना सस्ता है कि नर्सों ने इसे पूरे जिला चिकित्सालय के स्टाफ को बांटा है।
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जिला चिकित्सालय में अन्य मरीजों की सेवा के दौरान भी चिकित्सा स्टाफ इस फेस कवर से अपना बचाव कर रहा है। नर्स अनुराधा ने बताया कि फेस ढकने के लिए यह फिलहाल हमारे लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि जांच रिपोर्ट आने से पहले यह नहीं पता चल सकता है कि कौन कोरोना से प्रभावित है या कौन नहीं है। ऐसे में सावधानी जरूरी है।