गंदगी देख आहत हुए दून स्कूल के छात्र, मौज मस्ती से पहले की सफाई
ट्रैकिंग पर आए देहरादून के प्रसिद्ध दून स्कूल के छात्र में गंदगी को देख आहत हुए कि मौज मस्ती से पहले उन्होंने औली के ढलान पर सफाई अभियान चलाया।
गोपेश्वर, जेएनएन। औली और वेदनी की ट्रैकिंग पर आए देहरादून के प्रसिद्ध दून स्कूल के छात्रों को औली की बर्फीली ढलानों पर बिखरे प्लास्टिक कचरे ने इस कदर आहत किया कि वह मौज-मस्ती छोड़ उसे एकत्रित करने में जुट गए। उन्होंने पहले कचरे को बोरियों में भरकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया और फिर औली की बर्फीली ढलानों पर टूर का आनंद उठाया।
दून स्कूल से 32 छात्रों के दो ग्रुप चार शिक्षकों के साथ चमोली जिले में ट्रैकिंग के लिए आए हुए थे। अपने तीन-दिवसीय प्रवास में औली भ्रमण के दौरान इन छात्रों को वहां ग्लास हाउस सहित अन्य स्थानों पर प्लास्टिक कचरे के ढेर नजर आए।
हिमालय में फैली इस गंदगी ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया और उन्होंने फैसला किया कि ट्रैकिंग-स्कीइंग के साथ-साथ सफाई अभियान चलाकर इस कचरे को भी साफ करेंगे। छात्रों ने जीएमवीएन (गढ़वाल मंडल विकास निगम) के गेस्ट हाउस के पास मुख्य स्की स्लोप से गौरसों बुग्याल (मखमली घास का मैदान) तक सफाई अभियान चलाया। उन्होंने शिक्षकों के साथ मिलकर दो बोरों में दो क्विंटल से अधिक प्लास्टिक कचरा एकत्रित किया और उसे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
यह कचरा नगर पालिका के रिसाइक्लिंग प्लांट के लिए भेजा गया है। छात्रों के गाइड वाइल्ड हिमालयन टूर के डायरेक्टर दिनेश भट्ट ने बताया कि छात्रों ने स्वच्छता को लेकर जो कार्य किया है, वह सभी को प्रेरणा देने वाला है। बताया कि छात्र यहां के बेनजीर नजारों के कायल थे, लेकिन उन्होंने पर्यटकों के फैलाए कचरे पर खासी नाराजगी जताई। छात्रों का कहना था कि औली व गौरसों की सुंदरता पर यह कचरा ग्रहण है।
प्रकृति से प्यार है तो हिमालय को स्वच्छ रखें
अभियान दल में शामिल नवीं कक्षा के छात्र आदित्य जय खन्ना ने लोगों से अपील की कि अगर उन्हें प्रकृति से सचमुच प्यार है तो हिमालय को इस तरह गंदगी डालकर प्रदूषित न करें।
नवीं कक्षा के ही वेद मुंदोबी का कहना है कि औली में प्रकृति के अद्भुत नजारे हैं, परंतु पर्यटकों का यह व्यवहार दुखदायी है। कहा कि हिमालय को स्वच्छ रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। अभियान दल में शामिल दून स्कूल के शिक्षक अर्णव मुखर्जी ने बताया कि बीती दो अप्रैल को औली गया छात्रों का दल छह अप्रैल को वापस लौट आया।
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