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उत्‍तराखंड के बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, सरकार ने किया इन्‍कार

उत्‍तराखंड के चमोली जिले के भारत-चीन सीमा क्षेत्र बाड़ाहोती में एक बार फिर चीनी सेना के घुसपैठ की चर्चा है। हालांकि, जिलाधिकारी और आइटीबीपी ने ऐसी किसी घटना से इन्‍कार किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 31 Jul 2017 04:08 PM (IST)Updated: Tue, 01 Aug 2017 06:00 AM (IST)
उत्‍तराखंड के बाड़ाहोती में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, सरकार ने किया इन्‍कार

चमोली, [जेएनएन]: डोकलाम पर भारत और चीन के बीच बढ़ रही तल्खी के बीच चमोली से सटी सीमा पर एक बार फिर चीनी सैनिकों की घुसपैठ की सूचना है। बताया जा रहा है कि ये सैनिक क्षेत्र में करीब डेढ़ से दो घंटे तक रहे। हालांकि उत्तराखंड के प्रमुख सचिव गृह उमाकांत पंवार ने ऐसी किसी घटना से साफ इन्कार किया। उधर, चमोली के जिलाधिकारी आशीष जोशी ने कहा कि ऐसी कोई सूचना नहीं है। इसके अलावा भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) ने भी घुसपैठ से इन्कार किया है। उधर,  जोशीमठ(चमोली) के एसडीएम योगेंद्र सिंह ने कहा कि भ्रामक सूचनाएं फैलाने वालों का पता लगाया जाएगा।

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बताया जा रहा है कि घटना 26 जुलाई की है। चमोली के बाड़ाहोती क्षेत्र में करीब डेढ़ सौ से दो सौ चीनी सैनिक भारतीय सीमा में घुस आए। आइटीबीपी की अग्रिम चौकी रिमखिम पर तैनात जवानों से नियमित गश्त के दौरान उनका सामना हुआ। आइटीबीपी जवानों के देखते ही चीनी सैनिकों का दल लौट गया। 

जोशीमठ से 105 किलोमीटर दूर चमोली में चीन से जुड़ी भारतीय सीमा घुसपैठ की दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती है। विशेषकर 80 वर्ग किलोमीटर में फैला बाड़ाहोती चारागाह। यहां स्थानीय लोग अपने मवेश्यिों को लेकर आते हैं। पिछले माह जून के दूसरे सप्ताह में इस क्षेत्र में दो चीनी हेलीकॉप्टर देखे गए थे। घटना के बाद प्रशासन का एक दल क्षेत्र का जायजा लेने भी गया था। इसके बाद इसी माह 18 जुलाई को प्रशासन का 17 सदस्यीय दल सीमावर्ती क्षेत्र का जायजा लेने रवाना हुआ, लेकिन भारी बारिश के कारण रास्ते क्षतिग्रस्त होने से टीम 18 जुलाई को वापस आ गई। गौरतलब है कि वर्ष में चार बार प्रशासन की टीम बाड़ाहोती का जायजा लेने जाती है। 

इससे पहले वर्ष 2014 में भी यहां चीन का विमान देखा गया था। इसके बाद जुलाई 2016 में क्षेत्र के निरीक्षण को गई राजस्व टीम से चीनी सेना का सामना हुआ था। सैनिकों ने टीम को लौट जाने का इशारा भी किया। इसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भी भेजी गई थी। वर्ष 2015 में चीनी सैनिकों द्वारा चरवाहों के खाद्यान्न को नष्ट करने की घटना भी सामने आई थी। 

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