फूलों की घाटी की तरह अब उत्तराखंड की एक और डेस्टिनेशन से रूबरू होगी दुनिया, ट्रेक आफ द ईयर पर लें रोमांच का मजा
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित चिनाप घाटी को पर्यटन विभाग ने ट्रेक ऑफ द ईयर-2025 घोषित किया है। 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस घाटी में 300 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। यह घाटी दूसरी फूलों की घाटी के रूप में जानी जाती है और यहां कई दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी पाई जाती हैं। इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीयों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जिले के ज्योतिर्मठ (जोशीमठ) ब्लाक में उर्गम, थैंग और खीरों घाटी के मध्य हिमाच्छादित चोटियों की तलहटी में स्थित चिनाप घाटी को उत्तराखंड की दूसरी फूलों की घाटी के रूप में जाना जाता है।
इस बार पर्यटन विभाग ने चिनाप घाटी को ट्रेक आफ द ईयर-2025 घोषित किया है। इससे स्थानीय लोग तो उत्साहित हैं ही, घाटी को देश-दुनिया में पहचान मिलने की उम्मीद भी जगी है। वर्ष 2013 की आपदा में जब फूलों की घाटी जाने वाला रास्ता ध्वस्त हो गया तो प्रकृति प्रेमी यहां पहुंचने लगे। इसके बाद ही लोगों ने इस घाटी के बारे में जाना।
विश्व धरोहर फूलों की घाटी से तो देश-दुनिया परिचित है ही, इससे इतर फूलों की एक और जन्नत भी है, जिसे चिनाप घाटी नाम से जाना जाता है। समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित चिनाप घाटी में 300 से अधिक प्रजाति के हिमालयी फूल खिलते हैं। साथ ही कई दुर्लभ प्रजाति की वनस्पति व जड़ी-बूटियां भी यहां पाई जाती हैं। देव पुष्प ब्रह्मकमल की तो यहां सैकड़ों क्यारियां हैं, जो घाटी की सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। घाटी से चारों ओर हिमालय का नयनाभिराम और रोमांचित कर देना वाला नजारा दिखाई देता है। चिनाप घाटी जाने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में प्रवेश का पंजीकरण शुल्क जमा कर जाया जा सकता है।
प्रकृति प्रेमी दिलबर सिंह फर्स्वाण बताते हैं कि चिनाप फूलों की घाटी को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए क्षेत्र के लोग वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। यहां पर्यटक रंग-विरंगे फूलों के साथ फुलारा बुग्याल, गणेश मंदिर, सोना शिखर जैसे दर्शनीय स्थलों का दीदार भी कर सकते हैं। इसके अलावा आप हेलंग-उर्गम-चिनाप-खीरों होते हुए हनुमान चट्टी या बदरीनाथ धाम तक पैदल ट्रेकिंग भी कर सकते हैं। पूर्व ब्लाक प्रमुख प्रकाश रावत कहते हैं कि इससे न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
जुलाई से सितंबर तक खिलते हैं फूल
वैसे तो चिनाप घाटी की सुंदरता बारहों महीने बनी रहती है, लेकिन, जुलाई से सितंबर के मध्य यहां खिलने वाले अलग-अलग प्रकार के फूलों का सौंदर्य अभिभूत कर देने वाला होता है। सितंबर के बाद धीरे-धीरे फूल सूखने लगते हैं। हालांकि, हरियाली का आकर्षण फिर भी बना रहता है।
ट्रेक आफ द ईयर के लाभ
यदि किसी ट्रेक का कोई पौराणिक या ऐतिहासिक महत्व है, प्राकृतिक सुंदरता हो तो उसे भी ट्रेक आफ द ईयर घोषित किया जाता है। इसके लिए ट्रेक की ऊंचाई, लंबाई और पहुंच की सुगमता जैसे तकनीकी पहलुओं को भी ध्यान में रखा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य किसी विशेष ट्रेक या गंतव्य को लोकप्रिय बनाना होता है, ताकि अधिक से अधिक पर्यटक वहां आएं और वह क्षेत्र विकसित हो सके। साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
ऐसे पहुंचें
- चिनाप घाटी पांच किमी क्षेत्र में फैली हुई है।
- यह तीन दिन का ट्रेक है।
- चिनाप घाटी के लिए दो रास्ते हैं एक रास्ता तो ज्योर्तिमठ से मारवाडी तक बदरीनाथ हाईवे से सफर कर यहां से मोटर मार्ग से थेंग पहुंचकर आठ किमी पैदल दूरी तय कर चिनाप घाटी पहुंचा जा सकता है। ज्योतिर्मठ से थेंग मोटर मार्ग की दूरी 20 किमी है।
- दूसरा रास्ता भी थेंग से भनाई बुग्याल होते हुए यह रास्ता 12 किमी लंबा है।
- यह ट्रेकिंग व प्रकृति प्रेमियों की पहली पंसद है।
- चिनाप घाटी से खिरों घाटी से होते हुए नीलकंठ पर्वत से बदरीनाथ तक भी ट्रेकिंग की जा सकती है। यह 40 किमी लंबा ट्रेक है।
- यह स्थानीय लोगों, ऋषि मुनियों, साधु संतों के साथ भेड़ पालकों का पुराना रास्ता है।
- यहां का भ्रमण करने के लिए स्थानीय टूर आपरेटर मौजूद हैं। हालांकि पर्यटक खुद भी अपने इंतजाम कर पहुंच सकते हैं।
- भोजन और टेंट की व्यवस्था खुद की करनी होती है।
चिनाप घाटी, फूलों की घाटी से किसी मायने में कम नहीं है, इसीलिए घाटी को ट्रेक आफ द ईयर घोषित किया गया है। इसी कड़ी में वन विभाग व पर्यटन विभाग के साथ बैठक कर यहां व्यवस्थाएं बनाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है। - डा. संदीप तिवारी, जिलाधिकारी, चमोली
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