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    Chardham Yatra 2020: इस सीजन 3.11 लाख श्रद्धालुओं ने किए चारों धाम के दर्शन

    By Raksha PanthariEdited By:
    Updated: Fri, 20 Nov 2020 08:21 AM (IST)

    Chardham Yatra 2020 बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही हिमालय की चारधाम यात्र ने भी विराम ले लिया। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि इस बार यात्रा विलंब से शुरू हुई लेकिन बरसात के बाद उसने काफी गति पकड़ ली।

    Chardham Yatra 2020: इस सीजन 3.11 लाख श्रद्धालुओं ने किए चारों धाम के दर्शन।

    गोपेश्वर(चमोली), जेएनएन। Chardham Yatra 2020 बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही हिमालय की चारधाम यात्र ने भी विराम ले लिया। कोरोना संक्रमण के चलते हालांकि इस बार यात्रा विलंब से शुरू हुई, लेकिन बरसात के बाद उसने काफी गति पकड़ ली। मध्य अक्टूबर के बाद तो बदरी-केदार धाम में तीन से चार हजार यात्री रोजाना पहुंचने लगे थे। यही वजह रही कि कपाट बंद होने तक चारों धाम में यात्रियों की संख्या तीन लाख 11 हजार 549 पहुंच गई।

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    गुरुवार को बदरीनाथ धाम के साथ ही भविष्य बदरी धाम और द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट भी बंद हो गए। इससे पूर्व, अन्नकूट पर्व पर 15 नवंबर को गंगोत्री धाम और भैयादूज पर्व पर 16 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए थे। इसके अलावा गत 17 अक्टूबर को चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम और गत चार नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो चुके थे। जबकि, हिमालय के पांचवें धाम कहे जाने वाले हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा के साथ ही लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बीते दस अक्टूबर को बंद कर दिए गए थे।

    भविष्य बदरी और वंशीनारायण मंदिर के कपाट भी बंद

    सुभाईं गांव स्थित भविष्य बदरी धाम के कपाट भी बदरीनाथ धाम के साथ दोपहर 3.35 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। मंदिर के पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी ने बताया कि परंपरा के अनुसार भविष्य बदरी धाम के कपाट बदरीनाथ धाम के साथ ही खोले और बंद किए जाते हैं।उधर, भगवान वंशीनारायण मंदिर के कपाट भी दोपहर बाद 3.35 बजे बंद किए गए।

    मध्यमेश्वर के कपाट बंद

    पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर धाम के कपाट भी सुबह सात बजे शीतकाल के लिए बंद हो गए। कपाट बंदी की प्रक्रिया सुबह चार बजे विशेष पूजाओं के साथ शुरू हुई। मुख्य पुजारी टी.गंगाधर लिंग ने स्वयंभू शिवलिंग को शीतकाल के लिए समाधि दी। इस अवसर पर देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी-कर्मचारी, वेदपाठी, पुजारी उपस्थित थे।

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