Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    माटी की महक से देश की रक्षा का संकल्प ले रहा उत्‍तराखंड का ये गांव, ऑपरेशन ब्लू स्टार में शामिल थे यहां के 14 लाल

    Updated: Sun, 05 Oct 2025 02:56 PM (IST)

    चमोली जिले के सवाड़ गांव में ग्रामीणों का सैन्य परंपरा को कायम रखने का जज्बा है। शिक्षा के लिए पलायन रोकने और सैनिक तैयार करने के संकल्प से सामुदायिक प्रयास से गाँव में केंद्रीय विद्यालय खुला। ग्रामीणों ने चंदा और श्रमदान से भूमि उपलब्ध कराई और अस्थायी भवन का निर्माण किया। केंद्र सरकार ने ग्रामीणों के प्रयास को सराहा है जिससे बच्चों को नई दिशा मिलेगी।

    Hero Image
    देवाल विकाखंड के सवाड गांव में सामुदायिक सहयोग से बनाए गए टिनशैड व चयनित भूमि। जागरण

    देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर (चमोली)। क्षेत्र के विकास को ग्रामीणों के संघर्ष, संकल्प या सामुदायिक प्रयास के किस्से तो आपने कई सुने होंगे, लेकिन चमोली जिले के देवाल ब्लाक का सुदूरवर्ती सवाड़ ऐसा गांव है, जहां ग्रामीण सैन्य परंपरा को कायम रखने के लिए जज्बाती बन गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शिक्षा के लिए हो रहेपलायन को रोकने और गांव में सैनिक पैदा करने का उनका संकल्प अब सिद्धी बन गया है। संघर्ष, सामुदायिक जतन और श्रमदान से उम्मीद की किरण का ऐसा अंकुर फूटा कि केंद्र सरकार ने गांव को केंद्रीय विद्यालय की सौगात दे दी।

    वीर और बलिदानियों के गांव के रूप में पहचान

    सवाड़ की पहचान वीर और बलिदानियों के गांव के रूप में है। जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 110 किमी दूर स्थित इस गांव में 400 परिवारों की 2,000 स अे धिक आबादी रहती है। यहां के लोग देश की आन-बान-शान के लिए मर-मिटने को आतुर रहते हैं।

    हर परिवार सेना में जाकर देश सेवा करना अपना फर्ज मानता है। यह सिलसिला अनवरत जारी रहे, इस सोच के साथ ग्रामीण कई वर्षों से गांव में केंद्रीय विद्यालय खोलेजाने की मांग कर रहेथे। मंशा थी कि शिक्षा के लिए गांव सेपलायन न हो, यहां एक बेहतर स्कूल खुले। साथ ही बच्चे गांव में रहकर देश सेवा के सपने देखें और उन्हें साकार करने के लिए संघर्ष करें।

    ग्रामीणों की मांग को पिछले वर्ष केंद्रीय विद्यालय संगठन ने गंभीरता सेलिया और अस्थायी भवन उपलब्ध होनेपर इस पर विचार करने की बात कही गई। यह बात ग्रामीणों के मन में घर कर गई। चंदा और श्रमदान से इस पर काम करने का संकल्प लिया गया।

    सामुदायिक प्रयासों से एक करोड़ से अधिक की राशि जमा की गई। इसके बाद न सिर्फ 103 नाली (2,22,480 वर्ग फीट) जमीन उपलब्ध कराई गई, बल्कि उसमें अस्थायी भवन के रूप में 15 टिन शेड और सात शौचालयों का भी निर्माण किया गया। अमर शहीद सैनिक मेले के अध्यक्ष आलम सिंह बिष्ट का कहना है कि टिन शेड के निर्माण पर 92 लाख रुपये खर्च हुए। अब ग्रामीण खुश हैं। केंद्र सरकार ने उनके प्रयास को बहुआयाम दिया है। 

    जिलाधिकारी डा. संदीप तिवारी ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय खुलन से बच्चों के विकास को नई दिशा मिलेगी।

    गांव की बहादुरी का इतिहास

    • प्रथम विश्व युद्ध में गांव के 22 सैनिकों ने हिस्सा लिया, जिसमें दो बलिदान हुए थे।
    • द्वितीय विश्व युद्ध में 38 व पेशावर कांड में 14 सैनिक शामिल हुए थे।
    • आजाद हिंद फौज में 18 सैनिकों ने अपना योगदान दिया था।
    • बांग्लादेश निर्माण के लिए गई भारतीय सेना में यहां के 28 वीर सैनिक शामिल थे, जिसमें एक वीरगति को प्राप्त हुआ था।
    • आपरेशन ब्लू स्टार में शामिल 14 सैनिकों में से एक को प्राण गंवाने पड़े थे।
    • कारगिल युद्ध में 24 वीर सैनिक शामिल थे।
    • इस समय गांव में 84 पूर्व सैनिक, 40 वीर नािरयां रह रही हैं। प्रतिवर्ष सैनिकों के सम्मान में यहां मेला लगता है।