Uttarakhand News: बदरीशपुरी में भी कीजिए ध्यान साधना, नगर पंचायत ने संवारी गुफाएं, अगस्त से संचालन शुरू होने की उम्मीद
गोपेश्वर में केदारपुरी की तरह बामणी गांव के नारायण पर्वत पर दो प्राकृतिक गुफाओं को ध्यान केंद्र बनाया गया है। यहाँ साधकों के लिए भोजन और आवास की सुविधाएँ हैं। बद्रीनाथ नगर पंचायत ने शुल्क तय करने का प्रस्ताव भेजा है और बुकिंग जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है। इन केंद्रों को धार्मिक सर्किट से जोड़ा गया है जिससे तीर्थयात्रियों को विभिन्न मंदिरों के दर्शन करने का अवसर मिलेगा।

देवेंद्र रावत, गोपेश्वर। केदारपुरी की तरह बदरीशपुरी में भी साधक अब ध्यान साधना कर सकेंगे। इसके लिए बामणी गांव में नारायण पर्वत पर दो प्राकृतिक गुफाओं को संवारकर ध्यान केंद्र के रूप में विकसित किया गया है।
गुफाओं में साधकों के लिए खाने-ठहरने की व्यवस्था भी है। अब इनके शुल्क निर्धारण को बदरीनाथ नगर पंचायत की ओर से प्रशासन के पास प्रस्ताव भेजा गया है। इसके बाद संभवत: अगस्त से आनलाइन-आफलाइन माध्यम से गुफाओं के लिए बुकिंग शुरू हो जाएगी।
बदरीशपुरी में बदरीनाथ मंदिर से लगभग 500 मीटर दूर ऋषिगंगा के किनारे नारायण पर्वत पर स्थित दो प्राकृतिक गुफाओं को नगर पंचायत ने ध्यान केंद्र के रूप में विकसित किया है। सात फीट लंबी और पांच फीट चौड़ी इन गुफाओं को संवारने में 12 लाख की धनराशि खर्च हुई।
गुफाओं के पास साधकों की सुविधा के लिए दो हट भी बनाए गए हैं, जिनमें वह योगाभ्यास कर सकेंगे। इसके अलावा पास ही रसोई भी बनाई जा रही है, जिसमें साधकों के लिए सात्विक एवं सुपाच्य भोजन उपलब्ध होगा। गुफाओं से शौचालय भी जुड़े हुए हैं। गुफाओं में ठहरने वाले साधक को नगर पंचायत की ओर से योगा मैट और स्लीपिंग बैग उपलब्ध कराए जाएंगे।
मनोहारी दृश्य होता है साकार
ध्यान केंद्रों के लिए विद्युत आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। साथ ही भविष्य में सोलर सिस्टम लगाए जाने पर भी विचार हो रहा है। ध्यान केंद्रों के पास से होकर ही ऋषि गंगा बहती है, जबकि ठीक सामने उरेडा की जल विद्युत परियोजना की नहर का पानी झरने के रूप में गिरता है। इससे वहां मनोहारी दृश्य साकार होता है। बदरीनाथ नगर पंचायत के अधिशासी अधिकारी सुनील पुरोहित ने बताया कि इन दिनों ध्यान केंद्रों के बाहर रास्ता निर्माण और उस पर टाइल्स बिछाने का कार्य चल रहा है।
इन तीर्थों के भी होंगे दर्शन
ध्यान केंद्रों को धार्मिक सर्किट से जोड़ा गया है। तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम से 200 मीटर दूर लीलाढूंगी के दर्शन कर सकते हैं। कहते हैं कि यहां पर भगवान नारायण ने नवजात के रूप में भगवान शिव को दर्शन दिए थे, इसलिए इसे भगवान नारायण का जन्म स्थली माना गया है। यहां दर्शन के बाद तीर्थयात्री बामणी गांव के नंदा देवी मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं।
लोक देवी नंदा हिमालय राज शिव की अर्धांगिनी हैं और चमोली जिले में घर-घर में पूजित हैं। नंदा देवी मंदिर से मात्र सौ मीटर की दूरी पर सुंदरता की देवी उर्वशी का मंदिर है। शास्त्रों में बदरीनाथ धाम को उर्वशी पीठ के नाम से भी जाना गया है। इस मंदिर से महज 200 मीटर की दूरी पर दोनों ध्यान केंद्र हैं।
चरण पादुका ट्रेक से जोड़ने की योजना
नगर पंचायत की इस सर्किट को अब चरण पादुका ट्रेक से जोड़ने की योजना है। बदरीनाथ धाम से चरण पादुका डेढ़ किमी की दूरी पर है। यहां एक शिला पर भगवान नारायण की चरण पादुका के निशान हैं। इस ट्रेक पर तीर्थ यात्रियों की आवाजाही बनी रहती है।
बदरीशपुरी में विकसित किए गए ध्यान केंद्रों को पूरी तरह सुविधायुक्त बनाया गया है। प्रयास यही है कि साधक निश्चिंत होकर यहां साधना कर सकें। जल्द ध्यान केंद्रों के लिए शुल्क निर्धारण कर इनकी बुकिंग शुरू हो जाएगी। ध्यान केंद्र पूरी तरह सुरक्षित हैं।
-डाॅ. संदीप तिवारी, जिलाधिकारी, चमोली
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