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    Chamoli Disaster: दोनों बच्चों को सीने से लिपटकर मलबे में दफन हो गईं मां, जब शवों को निकाला तो भर आई सभी की आंखें

    Updated: Sat, 20 Sep 2025 04:02 PM (IST)

    चमोली के नंदानगर क्षेत्र के कुंतरी गांव में आपदा ने कांता देवी और उनके दो जुड़वा बच्चों की जान ले ली। मलबे में दबे तीनों के शव शुक्रवार को बरामद हुए। कांता देवी ने अपने बच्चों को सीने से लगा रखा था। कुंवर सिंह कांता के पति को जीवित बचा लिया गया था। तीनों का अंतिम संस्कार नंदप्रयाग में किया गया।

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    नंदानगर के कुंतरी लगा फाली गांव में अपनों को खोने के बाद रोते बिलखते स्वजन व ग्रामीण । जागरण

    देवेंद्र रावत, जागरण गोपेश्वर। चमोली के नंदानगर क्षेत्र में आई आपदा ने कई परिवारों को प्रभावित किया है, जिसमें कुंतरी गांव की कांता देवी और उनके जुड़वा बच्चों की दुखद कहानी भी शामिल है।

    शुक्रवार को जब यहां खोजबीन टीम ने मलबे में दबे कांता देवी और उनके बच्चों के शवों को निकाला, तो वहां मौजूद सभी की आंखों में आंसू आ गए। मलबे में दफन कांता देवी ने अपने दोनों बच्चों को सीने से लगाकर रखा था।

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    कुंतरी गांव में बुधवार देर रात आई आपदा में कुंवर सिंह, उनकी पत्नी कांता देवी (38) और दो जुड़वा बच्चे 10 वर्षीय विकास व विशाल मलबे में दब गए थे। घटना के लगभग 16 घंटे बाद राहत कार्यों में जुटी टीमों ने कुंवर सिंह को तो जीवित निकाल लिया, लेकिन उनकी पत्नी और बच्चों का पता नहीं चला था।

    एक-दूसरे से लिपटे हुए थे तीनों

    शुक्रवार को टीमों ने फिर से मलबा हटाना शुरू किया तो मकान के एक हिस्से में कांता देवी और उनके बच्चों के शव दबे हुए थे। तीनों एक-दूसरे से लिपटे हुए थे। विकास और विशाल कक्षा चार में पढ़ते थे। कुंवर सिंह मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते थे और हाल ही में उन्होंने नया मकान बनवाया था, लेकिन आपदा ने उनकी खुशियों को छीन लिया।

    श्रीनगर मेडिकल कालेज में भर्ती कुंवर सिंह ने स्थानीय लोगों से बातचीत में बताया कि सैलाब आने से पहले पत्नी और बच्चों को सुरक्षित घर से बाहर भेज दिया था। इसके बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी।

    स्थानीय निवासी दीपक रतूड़ी ने बताया कि कुंवर सिंह की स्थिति को देखते हुए उन्हें अभी पत्नी और बच्चों की मौत के बारे में नहीं बताया गया है। वह बार-बार पूछते हैं कि उनके बच्चे और पत्नी कहां हैं। स्थानीय लोगों ने उन्हें बताया कि वह सुरक्षित आपदा राहत शिविर में हैं। पोस्टमार्टम के बाद तीनों का अंतिम संस्कार नंदप्रयाग के चक्रप्रयाग घाट पर नंदाकिनी नदी के किनारे किया गया। उनकी चिताओं को मुखाग्नि रिश्तेदारों ने दी।