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    Chamoli Cloudburst: पढ़ते-पढ़ते तनुजा को आ गई नींद और बच गई जान, लेकिन मलबे में दफन हुई बहन

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 06:00 AM (IST)

    Chamoli Cloudburst थराली के सागवाडा गांव में भूस्खलन से 20 वर्षीय कविता की दुखद मृत्यु हो गई। वह अपने घर में सो रही थी जब मलबा उसके कमरे पर गिरा। उसकी बहन तनुजा जो आम तौर पर उसके साथ सोती थी दूसरी जगह सो रही थी और बच गई। स्थानीय लोगों और प्रशासन ने मिलकर कविता के शव को मलबे से निकाला।

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    Chamoli Cloudburst: सागवाडा गांव में 20 वर्षीय कविता की मलबे में दबने से मौत। जागरण

    सुभाष पिमोली, थराली। थराली के सागवाडा गांव में 20 वर्षीय कविता आपदा के मलबे की भेंट चढ़ी है। कविता जिस कमरे में सो रखी थी। वह पूरी तरह से भूस्खलन के मलबे में जद्दोजमीन हो गया है। इस परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है। कविता की बहन तनुजा उन भाग्यशालियों में है जो अपनी ही बहन के साथ सोती थी लेकिन बीते दिन वह मां ,पापा व भाई के कमरे में पढ़ते पढ़ते सो गई ओर उसकी जान बच गई।

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    थराली के सागवाडा गांव में मृतका कविता के पिता नरेंद्र सिंह व माता बबीता देवी , बहन तनुजा व भाई दिव्यांशु भी उसी मकान में मौजूद थे, जिसका एक हिस्सा भूस्खलन के मलबे में दबकर बराबर हो गया। बताया गया कि रात्रि को कविता की बहन तनुजा जो कि बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है, भाई दिव्यांशु के साथ अन्य कक्ष में पढ़ाई कर रही थी।

    तनुजा हमेशा अपनी बहन के साथ सोती थी, लेकिन पढ़ाई के दौरान उसे नींद आ गई और वह भाई व माता पिता के कमरे में ही सो गई। रात्रि को जब बादल फटने के बाद मलबा आया तो मकान का वह हिस्सा मलबे में दब गया, जिसमें कविता सोई थी।

    रात्रि को अंधेरे में चारों ओर डरावना मंजर

    कविता राजकीय महाविद्यालय तलवाडी में बीए द्धितीय वर्ष की छात्रा थी। कविता की मां बबीता देवी गांव की पूर्व प्रधान भी रहीं हैंं। उनका कहना है कि आपदा के दौरान भूस्खलन की तेज गर्जना के बाद जब वे घर से बाहर निकले तो बाहर सिर्फ तबाही का मंजर था। पूरे परिवार को जगाने के बाद सुरक्षित स्थानों पर दौड़े, लेकिन रात्रि को अंधेरे में चारों ओर डरावना मंजर था।

    तेज वर्षा के बीच उन्होंने आस-पड़ाेस के लोगों को जगाया। कविता के पिता नरेंद्र सिंह का कहना है कि वर्षा के दौरान पहाड़ी से मलबा आ रहा था। उन्होंने कविता को आवाज भी मारी, लेकिन वह जब कहीं नहीं दिखी तो समझ में आ गया कि कविता मलबे में दब चुकी है। रात्रि को भूस्खलन के लगातार होने के चलते कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।

    कहा कि गर्जना इतनी तेज थी कि उन्हें अनहोनी का अंदेशा हो गया था। भवन सुरक्षित स्थान पर था तथा यह पुस्तैनी मकान था। लेकिन घर के ऊपर भूस्खलन से आए मलबे से भवन का एक हिस्सा जमींदोज होने से कविता की जीवन लीला समाप्त हुई है।

    तड़के से ही स्थानीय लोग रेस्क्यू में जुट गए थे। स्थानीय लोगों व तहसील प्रशासन की टीम ने मलबा हटाकर शव को बरामद किया है। भाई बहनों के साथ माता-पिता के रो-रो कर बुरा हाल है।