Chamoli Avalanche: 'दो बार आया एवलांच... चोटी से फिसलता दिखा बर्फ का पहाड़', प्रभावितों की आपबीती सुन सिहर जाएंगे
Chamoli Avalanche चमोली में हिमस्खलन की घटना में बाल-बाल बचे मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई। तड़के से ही तेज आवाजें आ रही थीं और बर्फबारी के कारण कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। अचानक उनके कंटेनर एवलांच की चपेट में आ गए। सेना और आईटीबीपी के जवानों ने उन्हें बचाया। घटना में सुरक्षित बचे लोग बार-बार भगवान बदरीनाथ का शुक्रिया अदा कर रहे हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण, गोपेश्वर। Chamoli Avalanche: बदरीनाथ धाम के पास माणा में हिमस्खलन को लेकर सीमा सड़क संगठन के अधीन माणा पास पर कार्य कर रहे मजदूरों को लेकर घटना की सुबह से ज्यादा रात डरावनी थी।
दरअसल तड़के से ही बर्फबारी के दौरान तेज आवाजें आ रही थीं। जाेशीमठ में सेना चिकित्सालय पहुंचे मजदूरों, कर्मचारियों का कहना है कि वे तड़के से ही कंटेनरों के बाहर जमी छह फीट से अधिक बर्फ से डर चुके थे। क्योंकि उनके दरवाजे भी बर्फ से ढकने के लिए मात्र दो फीट ही बचे थे। ऐसे में कंटेनरों के अंदर रह रहे कुछ लोग टिनशैड में भी जाकर बैठकर उजाला होने का इंतजार करते हुए नारायण का ध्यान कर रहे थे।
कहना है कि पहले भी हिमखंड तेज आवाज के साथ टूटा, लेकिन तब नुकसान नहीं हुआ। जब तक यहां रह रहे लोग कुछ समझ पाते तब तक दोबारा हिमखंड टूटा ओर तबाही का मंजर सामने आया।
54 कर्मचारियों के लिए काली सुबह
शुक्रवार की सुबह बदरीनाथ के समीप कंटेनरों में रह रहे विजय इंफ्रा कंस्ट्रकशन कंपनी के 54 कर्मचारियों के लिए किसी काली सुबह से कम नहीं थी। उत्तरकाशी निवासी अभिषेक पंवार ने बताया कि शुक्रवार सुबह उजाला होने से पहले ही हर दिन की तरह कंटेनर से बाहर निकले। पहाड़ी से जोर-जोर की आवाजें आ रही थी। बर्फबारी के चलते कुछ दिखाई नहीं दे रहा था,जब तक वे कुछ समझ पाते कि उनके कंटेनर एवलांच की चपेट में आ गए।
अचानक लुढ़का कंटेनर
सेना चिकित्सालय ज्योतिर्मठ में भर्ती मुकेश कुमार निवासी पिथौरागढ़ ने बताया कि सुबह कंटेनर में सोए हुए थे। अचानक कंटेनर के लुढ़कने का आभास होकर सो रहे सभी लोग जाग गए। लेकिन कंटेनर तो बर्फ में दबा था दरवाजा नहीं खुला।
हम यह समझ चुके थे कि दुर्घटना के शिकार हो गए हैं, लेकिन तभी सेना व आईटीबीपी के जवानों ने आवाजें मारकर उन्हें हौंसला बनाए रखने के लिए कहा। जब बर्फ हटाकर बाहर निकाला तो तब पता चला कि वे अपने आवास स्थल से 50 मीटर नीचे कंटेनर सहित दुर्घटना के शिकार हुए हैं।
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विजयपाल निवासी मुरादाबाद उत्तरप्रदेश । जागरण
भगवान बदरीनाथ का शुक्रिया
उत्तर प्रदेश मुरादाबाद निवासी विजय पाल भगवान बदरीनाथ का शुक्रिया अदा करते हुए बताते हैं कि मौसम पहले दिन ही खराब चल रहा था। बाहर ताजी बर्फ गिर रही थी। पहले गर्जना के साथ हिमखंड टूटा इसे देखकर वे बाहर आए, लेकिन फिर से हिमखंड आया ओर जिस कंटेनर में वह रहते थे। कहां चला गया उन्हें नहीं पता।
हालांकि वे बर्फ के साथ लुढक कर काफी दूर गिरे। पहले से ही कई फुट बर्फ जमी थी, जिससे तेज भागा भी नहीं गया। लेकिन वे पास के ही आर्मी कैंप गए तथा वहां से मदद के लिए गुहार लगाई। हालांकि सेना पहले से ही हादसे के बारे में जानकर अलर्ट होकर कैंप के बाहर ही थी।
बताया कि कई फुट जमी ताजी बर्फ में ज्यादा तेजी से नहीं भागा गया इसी बीच बर्फ का सैलाब मुझे अपने साथ ले गया। साथ ले गया। लगभग पन्द्रह मिनट तक बर्फ के अंदर दबा रहा। जब एवलांच थमा तो बर्फ से बाहर निकल पाया।
दूसरा जन्म मिला
पिथौरागढ़ के लक्ष्मण सिंह ने बताया कि हमारा कंटेनर 20 मीटर नीचे तक बर्फ अपने साथ ले गई, लेकिन वह दबा नहीं था। इस हादसे से इतना घबराया है कि वह इसे दूसरा जन्म मानता है।
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चोटी से फिसलता दिखा बर्फ का पहाड़
सत्यप्रकाश यादव निवासी गाजीपुर उत्तर प्रदेश ने बताया कि हादसे की सुबह हम लोग हर दिन की तरह सोए हुए थे। अचानक आवाज आयी बाहर देखा तो चोटी से बर्फ का पहाड़ फिसलता दिखा। कंटेनर दौ सौ मीटर दूर अलकनंदा नदी के किनारे तक फिसलते हुए बर्फ के साथ गया तथा कंटेनर टूट गया। इस कंटेनर में मौजूद सभी लोग खुद ही निकल कर आर्मी कैंप तक गए जहां उन्हें उपचार दिया गया।

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