Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    यहां भी हैं 'बाबा बर्फानी'

    By Edited By:
    Updated: Wed, 16 Jul 2014 01:00 AM (IST)

    देवेन्द्र रावत, गोपेश्वर : कामेट पर्वतारोहण मार्ग पर नीती से 16 किलोमीटर आगे धौली नदी पार कर रेखाना बुग्याला की गुफा में स्थित हैं गुमनामी में गुम एक और बर्फानी बाबा। इस गुफा में बर्फ से निर्मित शिवलिंग जून माह तक देखा जा सकता है। ट्रैकिंग दल व पर्वतारोहण के सदस्य अक्सर यहां दर्शन कर आते हैं। लेकिन, सरकार व प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    नीती गांव से पैदल चलकर 16 किलोमीटर दूरी पर रेखाना ग्लेशियर से धौली गंगा पार करने के बाद पड़ने वाला रेखाना खर्क पर्वतारोहियों व ट्रैकरों के लिए अंजान नहीं है। वन विभाग के दस्तावेजों में जहां यह रेखाना बुग्याल के नाम से जाना जाता है, वहीं स्थानीय लोग इस स्थान को नंदी खर्क के नाम से जानते हैं। इसी से लगी पहाड़ी पर गुफा के अंदर मौजूद हैं बाबा बर्फानी। हर वर्ष यहां बर्फ का शिवलिंग बनता है। यह शिवलिंग जून तक यथावत रहता है। चार फीट ऊंचे इस बर्फीले शिवलिंग पर पहाड़ी से जल टपक कर जलाभिषेक भी होता है। जोशीमठ में लंबे समय से ट्रैकिंग व पर्वतारोण एजेंसी चलाने वाले एडवेंचर ट्रैकिंग के मालिक संजय कुंवर इस शिवलिंग को लगातार तीन सालों से देख रहे हैं। हालांकि बर्फानी गुफा में मौजूद शिवलिंग अभी तीर्थाटन व पर्यटन के नक्शे में ओझल है। लेकिन, स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि अगर सरकार कुछ करे तो यहां अमरनाथ की तरह ही यात्रा शुरू हो सकती है।

    यह भी है मान्यता

    ट्रैकिंग व पर्वतारोहण अभियान दलों को रेखाना बुग्याल में डेरा डालकर पूजा करना जरूरी माना जाता है। लोक परंपरा के अनुसार यहां पर एक रात ठहरकर बिना नंदा देवी की पूजा के आगे जाना अशुभकारी माना जाता है। ब्रिटिश काल से ही देशी विदेशी पर्वतारोही हो या ट्रैकर, रेखाना बुग्याल में डेरा डालकर पूजा अर्चना के बाद ही आगे बढ़ते हैं।

    कैसे पहुंचे-

    ऋषिकेश से 295 किलोमीटर दूरी तय कर जोशीमठ आने के बाद यहां जाने के लिए वन विभाग में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है। फिर 97 किलोमीटर सड़क मार्ग से भारत के अंतिम गांव नीती पहुंचकर यहां से 18 किलोमीटर पैदल ही यात्रा करनी पड़ती है। पर्यटकों के लिए इनर लाइन का परमिट भी तहसील प्रशासन से लेना पड़ता है।

    वन विभाग के संज्ञान में अभी यह बात नहीं है। लेकिन जिस प्रकार यह जानकारी सामने आई है, हम इसे देखकर सरकार को बर्फानी गुफा से अवगत कराएंगे।

    सोबत सिंह राणा, जिला पर्यटन अधिकारी