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    Badrinath Dham Door Closing: रविवार को बंद होंगे मंदिर के कपाट, इस दौरान स्त्री भेष धारण करते हैं पुजारी

    Updated: Sat, 16 Nov 2024 07:11 PM (IST)

    Badrinath Dham बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने वाले हैं। कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चौथे दिन मां लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई ...और पढ़ें

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    Badrinath Dham: रविवार को बंद होंगे भगवान बदरी विशाल के कपाट। जागरण

    संवाद सहयोगी,जागरण, गोपेश्वर। Badrinath Dham: श्री बदरीनाथ धाम में शीतकाल के लिए कपाट बंद होने की प्रक्रिया के चौथे दिन आज शनिवार पूर्वाह्न बदरीनाथ मंदिर के परिक्राम स्थल स्थित मां माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग लगाकर पूजा अर्चना की गई। इसी के साथ माता लक्ष्मी को नारायण के साथ गर्भगृह में विराजमान होने की प्रार्थना भी की गई।

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    गौरतलब है कि शीतकाल के लिए भगवान बदरी विशाल के कपाट रविवार रात्रि नौ बजकर सात मिनट पर बंद किए जाने हैं।

    माता लक्ष्मी से श्री बदरीनाथ मंदिर आने की प्रार्थना की गई

    पंचपूजा के चौथे दिन शनिवार पंचपूजा में दोपहर को रावल अमरनाथ नंबूदरी,धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल, वेदपाठी रविंद्र भट्ट,अमित बंदोलिया एवं लक्ष्मी मंदिर पुजारी सुधीर डिमरी, अरविंद डिमरी ने माता लक्ष्मी मंदिर में कढ़ाई भोग लगाया तथा पूजा अर्चना कर माता लक्ष्मी से श्री बदरीनाथ मंदिर आने की प्रार्थना की गई।

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    बदरीनाथ धाम के कपाट ,कल आज रात्रि नौ बजकर सात मिनट पर शीतकाल के लिए बंद होना है । बंद होने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए मंदिर को रंग बिरंगे फूलों से सजाया जा रहा है।

    स्त्री भेष धारण करते हैं पुजारी

    बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने की परंपरा के अनुसार रावल अमरनाथ नंबूदरी स्त्री भेष धारण कर माता लक्ष्मी को श्री बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में विराजमान करते हैं।

    पुजारी स्त्री भेष इसलिए धारण करते हैं कि लक्ष्मी जी की शखा के रुप में उन्हें गर्भगृह तक लाया जा सके। श्री बीकेटीसी के सीईओ विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि कपाट बंदी के अवसर को यादगार बनाने के लिए मंदिर को गेंदा, गुलाब सहित अन्य प्रजाति के फूलों से मंदिर को सजाया जा रहा है।

    कहा कि कपाट बंद के उत्सव की तैयारियों पूर्ण कर दी है। उन्होंने बताया कि इस साल अब तक 14 लाख 20 हजार से अधिक यात्री भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं।

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    ये हैं कार्यक्रम

    • रविवार ब्रह्ममुहुर्त में राेज की भांति चार बजे मंदिर खुलेगा।
    • पूर्व की भांति साढ़े चार बजे से अभिषेक पूजा होगी तथा दिन का भोग पूर्ववत दिन में लगेगा।
    • मंदिर में दर्शन होते रहेंगे, दिन में मंदिर बंद नहीं रहेगा।
    • दिनभर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहेगा।
    • शाम को छ बजकर 45 मिनट पर सायंकालीन पूजा शुरू होगी।
    • इसके बाद भगवान उद्धव जी व धन के देवता कुबेर जी को गर्भगृह से मंदिर परिसर में लाया जाएगा।
    • शाम आठ बजकर 10 मिनट पर शयन आरती होगी। इसके बाद कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।
    • रात्रि नौ बजे भगवान बदरीविशाल को माणा महिला मंडल की ओर से तैयार किया गया घृत कंबल ओढ़ाया जाएगा।
    • इस कंबल पर घी लेपन के बाद इसे भगवान नारायण व मां लक्ष्मी को ओढ़ाया जाता है।
    • इसके बाद ठीक रात नौ बजकर सात मिनट पर शुभ मुहूर्त में भगवान बदरीविशाल के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो जायेंगे।

    खास है माणा की महिलाओं द्वारा ऊन का कंबल

    नारायण को शीतकाल में जिस वस्त्र से ओढ़ाया जाता है। उसे माणा की कुंवारी कन्याएं अपने हाथों से खुद के हस्तशिल्प से तैयार करती हैं। इस कंबल में घी लेपन कर नारायण व मां लक्ष्मी को ओढ़ाया जाता है। यह कपाट खुलने के दिन प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता है।