भूस्खलन से गांव खतरे में, प्रशासन सर्वे तक सीमित
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: लगातार हो रहे भूस्खलन से पौराणिक गोपेश्वर गांव खतरे के मुहाने पर
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: लगातार हो रहे भूस्खलन से पौराणिक गोपेश्वर गांव खतरे के मुहाने पर है। प्रशासन अभी तक भूस्खलन का ट्रीटमेंट करने के बजाए सर्वे पर ही सिमटा हुआ है। भूस्खलन का दायरा बढ़ने से पौराणिक वैतरणी कुंड और मंदिर समूह भी खतरे के जद में आ सकता है।
तकरीबन डेढ़ दशक पूर्व गैर पुल में बालखिला नदी के कटाव के चलते भूस्खलन शुरू हुआ था। आज इस भूस्खलन का दायरा एक किमी से अधिक क्षेत्र में फैल चुका है। भूस्खलन लगातार बढ़ रहा है। गोपेश्वर गांव से चंद दूरी पर ही भूस्खलन आने के कारण इस पौराणिक गांव को खतरा बना हुआ है। गोपेश्वर गांव के निकट ही पौराणिक वैतरणी मंदिर समूह और वैतरणी कुंड भी है। इसके अलावा यहां पर रावलों की समाधियां भी हैं। भूस्खलन का ट्रीटमेंट न होने की दशा में ये पौराणिक चीजें जमींदोज हो सकती है। प्रशासन की ओर से इस भूस्खलन के ट्रीटमेंट को लेकर डेढ़ दशक में अभी सिर्फ सर्वेक्षण ही हो पाया है। गोपेश्वर गांव के निवासी धन ¨सह नेगी का कहना है कि भूस्खलन का दायरा लगातार बढ़ने से पौराणिक महत्व की चीजों को खतरा बना हुआ है। उन्होंने बताया कि कई बार प्रशासन से शिकायत के बाद भी अभी तक ट्रीटमेंट की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। मामले में जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी ने बताया कि इस भूस्खलन जोन का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने बताया कि ट्रीटमेंट को लेकर कार्ययोजना बनाई जा रही है।
डीएम ने भी लिया था जायजा
अंतरराष्ट्रीय गांधी शांति पुरस्कार विजेता पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट की ओर से आयोजित पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम के दौरान चार माह पूर्व जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने भी इस भूस्खलन जोन का जायजा लिया था। उन्होंने संबंधित विभागों को शीघ्र कार्ययोजना बनाकर भूस्खलन का ट्रीटमेंट करने को कहा था। पर, अब तक निर्देशों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सीवरेज प्लांट से भूस्खलन बढ़ने के आसार
जिस जगह पर भूस्खलन हो रहा है उसी स्थान पर प्रशासन की ओर से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान का निर्माण भी किया जा रहा है। निर्माण के दौरान यहां पर खुदाई किए जाने से भूस्खलन का दायरा बढ़ रहा है। अगर यह सीवरेज प्लांट चालू हुआ तो इसमें आने वाले सीवर और पानी से भूस्खलन बढ़ सकता है।
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