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    Chamoli Glacier Burst: चमोली में हिमखंड टूटने से चपेट में आया BRO कैंप, दस की मौत; देखें वीडियो

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Sat, 24 Apr 2021 11:23 PM (IST)

    Chamoli Glacier Burst सुमना क्षेत्र में हिमखंड टूटने के बाद इसकी जद में आए सड़क निर्माण कार्य में जुटे व्यक्तियों को बचाने में सेना का अभियान जारी है। सेना ने ट्वीट कर जानकारी दी कि राहत बचाव के दौरान 384 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा लिया गया है।

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    चमोली में हिमखंड टूटने के बाद 291 लोगों को किया गया रेस्‍क्‍यू।

    संवाद सहयोगी गोपेश्वर (चमोली)। Chamoli Glacier Burst  चमोली की मलारी घाटी में भारत-चीन सीमा के पास हिमस्खलन से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के दो शिविर तबाह हो गए हैं। दोनों शिविर में श्रमिकों की सही संख्या का पता नहीं चल पा रहा है, लेकिन बताया जा रहा है कि यह संख्या 400 से 450 के बीच हो सकती है। रात भर चले बचाव अभियान के दौरान सेना ने 391 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के साथ ही 10 शव बरामद किए हैं। बचाए गए श्रमिकों में से सात घायल हैं। छह घायलों को जोशीमठ में सेना के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि एक को देहरादून स्थित सैन्य अस्पताल के लिए रेफर किया गया है। दूरस्थ व दुर्गम क्षेत्र होने से राहत और बचाव कार्य में मुश्किल हो रही है। राहत कार्य में सेना के चार हेलीकाप्टर लगाए गए हैं। शनिवार सुबह मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने घटना स्थल का हेलीकाप्टर से निरीक्षण किया। 

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    ढाई माह पहले चमोली के तपोवन में ऋषिगंगा में आए उफान के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि एक और आपदा से उत्तराखंड दहल गया। जोशीमठ से करीब 90 किलोमीटर दूर चीन सीमा के निकट सुमना में सड़क को चौड़ा करने का कार्य चल रहा है। ऐसे में श्रमिकों के लिए बीआरओ नेे वहां दो शिविर स्थापित किए हैं। शुक्रवार को रुक-रुक कर हो रही बर्फबारी के कारण काम बंद था और श्रमिक शिविर में ही आराम कर रहे थे। बताया जा रहा है कि दोपहर बाद एकाएक समीप के पहाड़ से हिमस्खलन शुरू हो गया।

    भारी मात्रा में बर्फ को पहाड़ से नीेचे की ओर आते देख श्रमिक शोर मचाते हुए भागे। कुछ ही देर में शिविर बर्फ से तबाह हो गए। यहां से करीब आधा किमी दूर सेना की महार रेजीमेंट और गढ़वाल स्काउट के कैंप हैं। यहां तैनात जवान तत्काल मौके पर पहुंचे और राहत कार्य शुरू किया। सेना की मध्य कमान ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सेना और आइटीबीपी के जवान आधी रात के बाद तक राहत कार्य में जुटे रहे। इसके बाद हल्की बर्फबारी शुरू होने के कारण बचाव अभियान रोकना पड़ा। शनिवार सुबह से सेना और आइटीबीपी के जवान श्रमिकों की तलाश में जुटे हुए हैं। 

    राहत कार्यों में चुनौती बन रहे सड़क पर आए हिमखंड 

    जिस क्षेत्र में यह हादसा हुआ वह सेना और आइटीबीपी के नियंत्रण में है।  जोशीमठ से 65 किमी दूर मलारी गांव पड़ता है। यहां से एक सड़क देश के अंतिम गांव नीती और दूसरी सीमा पर अंतिम पोस्ट रिमखिम के लिए जाती है। रिमखिम जाने वाले मार्ग पर मलारी से 26 किमी दूर है सुमना और यहां से रिमखिम की दूरी 14 किमी है। क्षेत्र में बीते एक सप्ताह से रुक-रुक कर बारिश और बर्फबारी हो रही है।

    बड़ी मात्रा में बर्फ सड़क पर है। शुक्रवार देर शाम जोशीमठ से रवाना हुई बीआरओ, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम बर्फ हटाकर रास्ता साफ करने का प्रयास कर रही है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि बर्फ साफ करने के बाद पहाड़ से हिमखंड सड़क पर आ जा रहे हैं। ऐसे में राहत टीमों के लिए मौके तक पहुंचना चुनौती बना हुआ है। 

     

    मलारी हेलीपैड बर्फ से ढका

    लगातार हो रहे हिमपात से मलारी में हेलीपैड बर्फ से ढका हुआ है। ऐसे में यहां हेलीकाप्टर उतारना संभव नहीं है। सूत्रों के अनुसार सेना राहत और बचाव टीम के कुछ सदस्यों को जोशीमठ से हेलीकाप्टर से भेजने पर विचार कर रही है।

    श्रमिकों को सेना व आइटीबीपी के शिविरों में ठहराया : मुख्यमंत्री

    घटना स्थल का हेलीकाप्टर से निरीक्षण करने के बाद चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि हादसे में बचाए गए 391 श्रमिकों को सेना और आइटीबीपी के शिविरों में ठहराया गया है।

    मुख्यमंत्री ने कहा कि सेना, आइटीबीपी की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम आगे बढ़ रही हैं। जिला प्रशासन भी इसमें सहयोग कर रहा है। इसके अलावा गाजियाबाद में भी एनडीआरएफ टीम अलर्ट मोड पर हैं। मुख्यमंत्री के साथ आपदा प्रबंधन राज्य मंत्री धन सिंह रावत भी थे।

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