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    Vijay Diwas 2022 : युद्ध के लिए रात को हुई थी पासिंग परेड, लड़ाई में शामिल देवभूमि के वीर ने बयां की आपबीती

    By ghanshyam joshiEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Fri, 16 Dec 2022 02:49 PM (IST)

    Vijay Diwas 2022 सेना और अर्द्धसैनिक बलों में तैनात राज्य के बहादुर सैनिकों के बलिदान और देश सेवा के जज्बे ने पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर किया। मोहन सिंह कपकोटी ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 के भारत-पाक युद्ध की जंग उन्हें आज भी याद है।

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    Vijay Diwas 2022 : पूर्व केंद्रीय आर्म पैरामिलिट्री फोर्सेज वेलफयेर ऐसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहन सिंह कपकोटी

    टीम जागरण, बागेश्वर : Vijay Diwas 2022 : भारत-पाक युद्ध में शामिल हुए मोहन सिंह कपकोटी ने कहा कि उत्तराखंड की भूमि बलिदानियों की है।

    सेना और अर्द्धसैनिक बलों में तैनात राज्य के बहादुर सैनिकों के बलिदान और देश सेवा के जज्बे ने पाकिस्तान को घुटने टेकने को मजबूर किया। उन्होंने विजय दिवस पर उत्तराखंड के वीर सैनिकों को याद किया।

    पूर्व केंद्रीय आर्म पैरामिलिट्री फोर्सेज वेलफयेर ऐसोसिएशन के जिलाध्यक्ष मोहन सिंह कपकोटी ने कहा कि 16 दिसंबर 1971 के भारत-पाक युद्ध की जंग उन्हें आज भी याद है। तीन दिसंबर 1971 की शाम सात बजे युद्ध प्रारंभ की सूचना मिली। उस दौरान वह टेकनपुर अकेडमी सीमा सुरक्षा बल में रंगरूट का प्रशिक्षण ले रहे थे।

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    रात में हुई उनकी पासिंग आउट परेड

    चार दिसंबर 1971 की रात में उनकी पासिंग आउट परेड हुई। उसी रात को वह रेलगाड़ी से पंजाब, फिरोजपुर बॉर्डर के लिए रवाना हो गए। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। जहां हजारों बहनों और माताओं ने उनके हाथों में राखी बांधी। फल, मिठाई आदि देकर उनका हौंसला बढ़ाया।

    फिरोजपुर पहुंचते ही वह बाफर्डर पर तैनात हो गए। जंग में शामिल होने के बाद दोनों तरफ से गोली, बारूद की आवाज और धमाकों के बीच मन में जोश था। फायरिंग में आनंद भी आ रहा था। दीपावली जैसा माहौल बन रहा था।

    दोनों तरफ से गोलियां और गोले चलाए जा रहे थे

    कभी-कभी दोनों तरफ से गोलियां और गोले चलाए जा रहे थे। जंग को 14 दिन बीत गए थे। 16 दिसंबर 1971 की शाम को रेडियो पर समाचार आया था कि लड़ाई में सीज फायर हो गया है। यानी भारत-पाक के बीच जंग बंद करने का समझौता हो गया है।

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    बावजूद सीज फायर के दिन भी दोनों तरफ से से भयंकर फायरिंग हो रही थी। सीज फायर के दिन ऐसा लगा कि यह सूचना गलत है। लेकिन 17 दिसंबर को दोनों तरफ से फायरिंग धीमी होने लगी। उन्होंने कहा कि भारत-पाक युद्ध की याद आते ही उनका मन उतावला हो जाता है।