Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बागेश्वर के गांवों में आज भी कूटते हैं ओखली में च्यूड़े

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 15 Nov 2020 09:42 PM (IST)

    चंद्रशेखर बड़सीला गरुड़ पहाड़ के गांवों में आज भी ओखली में च्यूड़े कूटने की परंपरा कायम है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    बागेश्वर के गांवों में आज भी कूटते हैं ओखली में च्यूड़े

    चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़

    पहाड़ के गांवों में आज भी ओखली में च्यूड़े कूटने की परंपरा कायम है। रविवार को महिलाओं ने च्यूड़े कूटे। भैया दूज पर्व पर इन्हें च्यूड़े देवताओं को चढ़ाया जाता है। च्यूड़े बनाने के लिए गांवों में महिलाएं दीपावली से दो-चार दिन पहले से ही नए धान को पानी के एक बर्तन में भिगो देते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन इन्हें लोहे के तसले में भूना जाता है। फिर महिलाएं मूसलों से उसे ओखली में कूटती हैं। इस प्रक्रिया से च्यूड़े तैयार हो जाते हैं। फिर उन्हें छीटकर भैया दूज के दिन देवताओं को चढ़ाया जाता है। इस दिन गांवों में लोग अपने ईष्ट देवता, कुल देवता को भी च्यूड़े चढ़ाते हैं और वर्षभर अच्छी फसल की कामना करते हैं। इस दिन कुल पुरोहित यजमानों के घर जाकर च्यूड़े उनके सिरों में रखते हैं और उन्हें आशीर्वाद देते हैं। परिवार के बुजुर्ग भी बच्चों के सिरों में च्यूड़े रखकर उन्हें' जी रया जागि रया ..'आदि आशीष के आंखरों के साथ उनके सुखी, समृद्ध व उच्च्वल भविष्य की कामना करते हैं। मायके में विवाहित बेटियों व ईष्ट-मित्रों को भी च्यूड़े दिए जाते हैं। भैया दूज के दिन आसपड़ोस में भी पकवानों के साथ एक दूसरे को च्यूड़े देने का रिवाज है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    -वर्जन- नए धान से च्यूड़े बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। पहाड़ों में यह परंपरा आज भी जीवित है। युवा पीढ़ी को भौतिकतावाद से इस परंपरा को बचाने के लिए आगे आना होगा। -गोपाल दत्त भट्ट, संस्कृतिकर्मी व साहित्यकार गोपूजा के साथ मना गोवर्धन पर्व

    जासं, बागेश्वर : गो-पालकों ने रविवार को गोवर्धन पर्व धूमधाम से मनाया। कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना के बाद गाय की पूजा की गई। गौ माता को चावल के आटे की छाप लगाई गई। घरों में पकवान बनाए गए। इसमें चावल के आटे तथा उड़द दाल की पूरियां विशेष रूप से बनाए गए। सुबह स्नान के बाद गोपालकों ने विधिवत भगवान कृष्ण की पूजा की। इसके बाद गाय को बांधने वाले खूंटे को गोवर्धन के रूप में पूजा। गौ माता के लिए विशेष पकवान भी तैयार किए। गो-पालक मनोहर सिंह, गीता देवी, चंपा देवी, कमला देवी, हरीश सिंह ने बताया कि गोसेवा करने से घर में दूध-दही के भंडार भरे रहते हैं। पंडित मोहन चंद्र लोहनी ने बताया कि गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति को बचाए रखने का संदेश देती है।