Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Uttarakhand: राज्य आंदोलनकारियों ने किया सम्मान समारोह का बहिष्कार, कहा- 25 वर्ष में जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी सरकार

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 01:54 PM (IST)

    बागेश्वर में राज्य आंदोलनकारियों ने सम्मान समारोह का बहिष्कार किया और कहा कि उत्तराखंड अपनी मूल अवधारणा से भटक गया है। उन्होंने शहीदों के सपनों का राज्य अधूरा बताते हुए सरकार पर जनता की उम्मीदों पर खरा न उतरने का आरोप लगाया। आंदोलनकारियों ने पलायन, बेरोजगारी और गैरसैंण की उपेक्षा जैसे मुद्दों पर भी चिंता जताई और पुनः आंदोलन की चेतावनी दी।

    Hero Image

    सम्मान सम्मारोह का उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने बहिष्कार कर दिया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, बागेश्वर । जिला प्रशासन की तरफ से आयोजित सम्मान सम्मारोह का उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने बहिष्कार कर दिया है। उन्होंने शहीद स्थल पर नारेबाजी के साथ प्रदर्शन किया। कहा कि उत्तराखंड राज्य अब अपनी मूल अवधारणा तथा आंदोलन की भावना से भटक गया है। आंदोलनकारियों ने स्पष्ट कहा कि शहीदों के सपनों का राज्य आज भी अधूरा है तथा जनता की उम्मीदों पर सरकार खरा नहीं उतर पाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शनिवार को जिले के राज्य आंदोलनकारियों के लिए प्रशासन ने सम्मान समारोह आयोजित किया। जिसका उन्होंने बहिष्कार कर दिया। राज्य आंदोलनकारी भुवन कांडपाल ने कहा कि आंदोलनकारियों का अपमान हो रहा है। एक सम्मान के माध्यम से सरकार उनके साथ वोट बैंक की राजनीति नहीं कर सकती है।कहा कि राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी पलायन, बेरोजगारी, जल-जंगल-जमीन की लूट तथा पर्वतीय क्षेत्रों की उपेक्षा जैसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राजधानी गैरसैंण, जिसे स्थायी राजधानी बनाया जाना था, उसे अब भुला दिया गया है।

    राज्य आंदोलनकारी हीरा बल्लभ भट्ट ने कहा कि राज्य निर्माण के दौरान जिन लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, उनके सपनों के अनुरूप राज्य का निर्माण नहीं हो सका। उत्तराखंड की आत्मा पहाड़ों में बसती है, लेकिन आज वही पहाड़ पलायन की पीड़ा झेल रहे हैं तथा गांव सूने होते जा रहे हैं। बंदर, सूअरों, भालू, गुलदार ने गांवों वालों का जीना दूभर कर दिया है। रोजगार, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, संचार सेवाओं के लिए 21 वीं सदी में लोग पलायन कर रहे हैँ। अनियोजित विकास ने पहाड़ में आपदाएं बढ़ा दीं हैँ। रमेश कृषक ने कहा कि यह समय आत्ममंथन का है।

    राज्य के निर्माण की मूल भावना, समान विकास, रोजगार तथा संसाधनों के न्यायसंगत वितरण की दिशा में सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। कहा कि यदि राज्य के पर्वतीय इलाकों की उपेक्षा जारी रही, तो आंदोलनकारी जनता के साथ मिलकर पुनः सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि शहीदों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब उत्तराखंड अपने वास्तविक स्वरूप जल, जंगल, जमीन तथा जनहित की रक्षा के रास्ते पर लौटेगा। इस अवसर पर नीमा दफौटी, गोकुल जोशी, गंगा सिंह पांगती, हंसी देवी, नंदी देवी, खष्टी, बंसती, खष्टी, राजेंद्र सिंह, दान सिंह, लीलाधर, सुंदर सिंह, गोविंद सिंह, मंगल सिंह आदि उपस्थित थे।