उत्तरायणी मेले में छाए मुनार के मंडुवा-चौलाई के बिस्कुट, जानिए
उत्तरायणी मेले में मुनार के मंडुवा, चौलाई के बिस्कुट की जमकर खरीदारी हो रही है। मुनार के इसी बिस्कुट का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया था।
बागेश्वर, जेएनएन। मुनार के मंडुवा, चौलाई के बिस्कुट की उत्तरायणी मेले में जमकर खरीदारी हो रही है। मुनार के इसी बिस्कुट का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में जिक्र किया था। बिस्कुट की पौष्टिकता देखते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों में भी वितरित किया जा रहा है।
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाके में मंडुआ और चौलाई का भरपूर उत्पादन होता है। 2012 में आजीविका परियोजना के अधिकारियों ने क्षेत्र में जाकर लोगों को मंडुआ, चौलाई का महत्व बताया और इनसे रोजगार पैदा करने के टिप्स दिए। इससे प्रेरित हो क्षेत्र की महिलाओं ने समूह के माध्यम से मां चिल्ठा आजीविका स्वायत्तता सहकारिता की स्थापना की। गांव के लोग आजीविका परियोजना की ओर से गठित इस सहकारिता समूह से जुड़े हैं।
समूह ने शुरुआत में कृषकों से मंडुवा, चौलाई आदि उत्पाद खरीदकर मंडी में बेचे। अनाज को बेचकर हुई बचत से समूह ने एक साल पहले कपकोट के मुनार गांव में बिस्कुट बनाने का प्लांट लगाया। इस प्लांट में मंडुवे और चौलाई के बिस्किट बनाए जा रहे हैं।
मंडुवे को मिले अच्छे दाम
संस्था के अध्यक्ष तारा ताकुली ने बताया कि मेकिंग, पैकिंग और मार्केटिंग का कार्य पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में है। हाड़तोड़ मेहनत से पैदा किया हुआ जो मंडुवा और चौलाई पहले जानवरों का चारा बन जाता था उसे किसान आज 16 रुपये और 35 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रहे हैं।
यहां तक पहुंचे रहे बिस्कुट
जिले के 50 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में मंडुवे के बिस्कुट पहुंच रहे हैं। इसके अलावा कपकोट, बागेश्वर, कौसानी, गरुड़ और अल्मोड़ा के बाजार में इनको बेचा जाता है। दो सौ ग्राम के मंडुवे और चौलाई के बिस्कुट के पैकेट की कीमत 25 रुपये रखी गई है। मंडुवे के बिस्कुट में आयरन और अन्य पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होने से गर्भवती महिलाओं के लिए यह सबसे अधिक उपयुक्त माना जाता है।
धर्मेंद्र पांडेय (प्रबंधक, आजीविका परियोजना) का कहना है कि एकीकृत आजीविका परियोजना के अंतर्गत मंडुवा और चौलाई के बिस्कुट बनाने का काम संचालित किया जा रहा है। सहकारिता समूहों का गठन कर उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराया जाता है। मां चिल्ठा आजीविका स्वायत्तता सहकारिता सराहनीय कार्य कर रही है। उत्तरायणी मेले में भी स्टाल लगाया गया है।
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