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    पूर्व सीएम हरीश रावत का धामी सरकार पर संगीन आरोप, बोले- 'आपदा के समय भाजपा खेल रही कुर्सी-कुर्सी का खेल'

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 01:06 PM (IST)

    पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा पर आपदा के समय कुर्सी का खेल खेलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री और अन्य मंत्री आपदाग्रस्त क्षेत्रों से दूर रहे हैं। रावत ने कांग्रेस को स्वभाव से ब्राह्मण पार्टी बताते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सरकार चलाने तक ब्राह्मणों की समझ का उपयोग किया गया। उन्होंने यूसीसी को ब्राह्मणों पर वार बताया।

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    पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि आपदाग्रस्त क्षेत्रों से केंद्रीय तथा मंत्रियों ने बनाई दूरी। जागरण

    जागरण संवाददाता, बागेश्वर। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भाजपा आपदा के समय कुर्सी-कुर्सी का खेल खेल रही है। आपदाग्रस्त क्षेत्रों से केंद्रीय मंत्री तथा मंत्रियों ने दूरी अपना ली है। सरकार तथा उसके मंत्रियों का मंत्र खतरे से दूर रहे हैं।

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    कांग्रेस स्वभाव से ब्राह्मण पार्टी रही है। ब्राह्मण की समझ का उपयोग स्वतंत्रता संग्राम से लेकर सरकार चलाने तक किया गया है। समाज को आगे बढ़ाने में ब्राह्मण का रोल अहम है। भाजपा ने ब्राह्मण को तोड़ने का काम किया है। यूसीसी लागू कर उन पर सबसे अधिक प्रहार किया है।

    स्थानीय नरेंद्रा पैलेस में पत्रकार वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू धर्म निरपेक्ष थे। लेकिन उन्होंने नाम के आगे पंडित स्वीकारा। पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित कमलापति त्रिपाठी, पंडित नारायण दत्त तिवारी आदि ने कांग्रेस को संभाला।

    कांग्रेस ने पंडित नाम को जनता का टाइटल बनाया। कांग्रेस काल में 40 से 50 प्रतिशत मुख्यमंत्री ब्राह्मण रहे। कांग्रेस से ब्राह्मण कतिपय नाराजगी से चला गया। उसी बल पर भाजपा राजनीति कर रही है। यूसीसी ब्राह्मणों पर वार है। विवाह के सात फेरे, धूलीअर्ग समेत मांगलिक कार्यों को रोकने के लिए यह कानून लाया गया है। जिसका सबसे अधिक नुकसान ब्राह्मणों को है।

    लीव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए एक कागज भरना है। विवाह की जरूरत तक नहीं है। अब भाजपा की इनकंबेंसी को तोड़ने के लिए कांग्रेस तैयार है। रावत ने कहा कि भारत दो राहे पर खड़ा है। जहां से रास्ता बदल सकता है तथा बढ़ सकता है।

    पूर्व सीएम ने आपदा पर कहा कि केंद्रीय मंत्री, मंत्री तथा अफसर खतरे से दूर हैं। वह आपदा प्रभावितों से मिलना तक नहीं चाहते हैं। जिला प्रभारी मंत्री तथा सांसद तक लोगों के आंसू पोछने नहीं पहुंच पा रहे हैं। राहत बचाव में समन्वय नहीं है। आश्वासन नहीं है। मानसिक रूप से प्रभावित को तैयार नहीं किया जा रहा है। उनका दर्द बांटने वाला कोई नहीं है।

    पलायन, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी के कारण युवा वर्ग सबसे अधिक प्रभावित है। वह नशेड़ी बन रहा है। यह सरकार को फेलियर है। इस अवसर पर पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण, पूर्व जिपंअ हरीश ऐठानी, पूर्व दर्जा मंत्री राजेंद्र टंगड़िया, बालकृष्ण, देवेंद्र परिहार, लोकमणि पाठक, हरीश त्रिकोटी, किशन कठायत आदि उपस्थित थे।

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