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    Bageshwar News: पौंसारी के लोग वर्षा होते ही होने लगे भयभीत, पुनर्वास का इंतजार

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 04:40 PM (IST)

    बागेश्वर के पौंसारी गांव में आपदा के बाद मातम है। लोग पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि उनकी रोजी-रोटी छिन गई है। जिला प्रशासन पुनर्वास की बात कर रहा है पर लोगों की चिंता बढ़ रही है। अनियोजित विकास के कारण आपदाएं बढ़ रही हैं और पर्यावरणविदों ने सुरक्षित पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया है। कपकोट बागेश्वर कांडा और गरुड़ ब्लॉक के कई गांव संवेदनशील हैं।

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    पौंसारी के लोग वर्षा होते ही होने लगे भयभीत, पुनर्वास का इंतजार

    जासं, बागेश्वर। पौंसारी गांव में अभी भी मातम पसरा हुआ है। गांव के लोग हल्की सी वर्षा में भयभीत हो रहे हैं। उनके खेत, खलिहान, रास्ते, गोशाले, गौचर पनघट भूमि पर मलबा भरा हुआ है। प्रशासन ने पानी, बिजली, सड़क की व्यवस्था तो कर दी है, लेकिन वह घर से बाहर निकलते ही आंसू बहा रहे हैं।

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    उनकी रोजी रोटी आपदा में बर्बाद हो गई है। उनकी समझ में अब कुछ भी नहीं आ रहा है। वह गांव छोड़ें या फिर से जीवन की शुरूआत करें।

    हालांकि, जिला प्रशासन उनके पुनर्वास की बात कर रहा है। लेकिन समय बीतने के साथ ही उनकी धड़कनें भी बढ़ रहीं हैं। जिले में आपदा की दृष्टि से बेहद अतिसंवेदनशील जिले में लगभग 45 गांवों पुनर्वास की बाट जोह रहे हैं।

    अनियोजित विकास से हर वर्ष यहां आपदा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। जिला जोन पांच में आता है, जो भूकंपीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। जबकि बागेश्वर-कपकोट-लोहारखेत से चमोली वाला क्षेत्र मेन सेंट्रल थ्रस्ट में आता है। यहां टेक्टोनिक प्लेट्स सबसे अधिक सक्रिय हैं। बिना वर्षा के भी यहां की पहाडिय़ों से अक्सर भूस्खलन का होना इस ओर इशारा करता है।

    जिला पंचायत अध्यक्ष शोभा देवी ने कहा कि सरकार इन गांवों के पुर्नवास की योजनाएं बना रही है। कुछ जगहों का हुआ भी है। जल्द ही इस ओर कार्रवाई की जाएगी। गांव व ग्रामीणों की सुरक्षा प्राथमिकता है।

    पर्यावरणविद् डा. रमेश बिष्ट कहते हैं भूकंपीय दृष्टि से पूरा क्षेत्र संवेदनशील है। अनियोजित व अवैज्ञानिक विकास ने आपदा की घटनाओं को बढ़ाया है। यहां कभी भूकंप के बड़े झटके आए तो सबसे अधिक नुकसान होगा। सरकार को इन गांवों को सुरक्षित स्थानों पर पुनर्वास की योजनाएं बनानी चाहिए।

    जिले के अत्यधिक खतरे वाले गांव

    कपकोट के कुंवारी, सूपी, सेरी, दोबाड़, बड़ैत, हरसिंगियाबगड़, सुमगढ़ बूरमोला, बामनखेत, नौकुड़ी, शीरी, शामा, रमाड़ी, कनौली, नामतीचेट्टाबगड़, खेतीकिसमिला, भनार, माजखेत, चुचेर, लाथी, लीती, हामटीकापड़ी, रातिरकेठी, मुल्खाडुगर्चा, गोगिना, रिठकुला, झुनी, खलझूनी, कर्मी, बघर, सरण, बदियाकोट, खर्ककानातोली, लोहारखेत, सनगाड़, खाती, बड़ी पन्याली, रीमा, बाछम, बागेश्वर ब्लाक के सभी खनन क्षेत्र कांडा तथा गरुड़ ब्लाक में जिनखोला, मटेना, कौसानी, पय्या, कुलाऊं गांव आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं।