Uttarakhand News: किसानों की झोली भरेगी छत्तीसगढ़ की ब्लैक तिलापिया, तीन महीने में बाजार में होगी मछली
बागेश्वर जिले में मछली पालन का क्षेत्र बढ़ रहा है जहाँ कार्प और ट्राउट के बाद अब ब्लैक तिलापिया मछली का पालन शुरू किया गया है। छह क्लस्टर के 300 तालाबों में तिलापिया मछली के बीज डाले गए हैं जिससे किसानों को बेहतर उपज मिलने की उम्मीद है। कपकोट तहसील क्षेत्र के 10 गांवों में क्लस्टरवार मछली पालन हो रहा है जिससे लोगों की आय में वृद्धि हो रही है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर। मछली पालन के क्षेत्र में बागेश्वर जिला लगातार तरक्की कर रहा है। कार्प तथा ट्राउट प्रजाति की मछली का उत्पादन बेहतर रहने के बाद अब जिले में ब्लैक तिलापिया प्रजाति की मछली का पालन शुरू किया गया है।
छह कलस्टर के 300 तालाबों में एक लाख तिलापिया मछली बीज डाला गया है। जिस पर छह लाख रुपये व्यय हुए हैं। यह मछली तीन माह के बाद बाजार उतार दी जाएगी।
ब्लैक तिलापिया को ब्लैकचिन तिलापिया या सरोथेरोडोन मेलानोथेरान नाम से भी जाना जाता है। मुख्यत: यह मछली पश्चिमी अफ्रीका के तटीय क्षेत्रों तथा उत्तरी अमेरिका में पाई जाती है। देश में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में भी यह पाली जाती है। इसकी प्रजनन तथा वृद्धि दर तेज होती है। छह महीने में एक मछली का वजन एक किलोग्राम होता है तथा किसानों को बेहतर उपज मिल सकती है।
10 गांवों में कलस्टरवार मछली पालन
कपकोट तहसील क्षेत्र के 10 गांवों में क्लस्टरवार मछली पालन हो रहा है। 22 समितियों के माध्यम से 270 लोग मछली पालन रहे हैं। 220 तालाबों में क्लस्टरवार मछली पालन हो रहा है। प्रत्येक सोसायटी में कम से कम 10 लोग जुड़े हैं। वर्ष में एक समिति को पांच से सात लाख रुपये की शुद्ध आय हो रही है।
किस गांव में कितने तालाब
जगथाना में 70, बड़ेत में 70, बड़ेत में 30, लीती में 20, रमाड़ी में 20, चचई में 20, फरसाली में 20, लीली, भनार, तीख मे 10-10 तालाबों में मछली पालन हो रहा है।
ट्राउट, पंगास, कार्प मछली का उत्पादन
जिले में वर्ष में 270 क्विंटल कार्प, 90 क्विंटल ट्राउट, 40 क्विंटल पंगास मछली पैदा होने लगी है। जिन्हें खुले बाजार में बेचा जा रहा है। इसके अलावा देहरादून की उत्तरा फिश शाप में मांग के अनुसार ट्राउट भेजी जा रही है।
मत्स्य पालन से किसानों की आय बढ़ रही है। उन्हें विपणन में भी सहयोग दिया जा रहा है। ब्लैक तिलापिया मछली का बीज डाला गया है। तीन माह के भीतर मछली तैयार होगी।
-मनोज मियान, वरिष्ठ मत्स्य निरीक्षक बागेश्वर
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