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    बागेश्वर: चरस के पकड़ी गई विदेशी महिला तथा एक अन्य दोषमुक्त, जिला सत्र न्यायाधीश ने सुनाया फैसला

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 06:17 PM (IST)

    उत्‍तराखंड के बागेश्वर में जिला सत्र न्यायाधीश ने चरस तस्करी मामले में विदेशी महिला समेत दो आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया। पुलिस ने 18 फरवरी 2022 को एक महिला को चरस के साथ गिरफ्तार करने का दावा किया था लेकिन अदालत ने पुलिस के आरोपों को मनगढ़ंत पाया। अदालत ने आरोपियों के जमानत बंधपत्र निरस्त करने के भी आदेश दिए।

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    चरस तस्करी के मामले में दोषमुक्त किया है। प्रतीकात्‍मक

    जासं, बागेश्वर। जिला सत्र न्यायाधीश ने विदेशी मूल की महिला समेत एक स्थानीय नागरिक को चरस तस्करी के मामले में दोषमुक्त किया है। आरोपित विदेशी महिला व एक अन्य ग्रामीण जमानत पर चल रहे हैं, जिस पर अदालत ने जमानत के लिए प्रस्तुत किए गए बंधपत्र निरस्त करने के आदेश भी दिए हैं।

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    घटनाक्रम के अनुसार 18 फरवरी 2022 को उपनिरीक्षक खष्टी बिष्ट ने मुकदमा दर्ज किया कि पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी एक महिला लोहारखेत से मोटर साइकिल में चरस लेकर आ रही है। जिस पर पुलिस व एसओजी टीम ने खाईबगड़ पुल के समीप वाहनों की चेकिंग में शामिल हो गई।

    पुलिस ने अदालत को बताया कि पुलिस ने जब एक व्यक्ति को महिला को साथ लेकर आते देखा तो उसे रूकने को कहा, परंतु उसने भागने का प्रयास किया। परंतु पुलिस व एसओजी ने उन्हें पकड़कर पूछताछ की तो बताया कि उनके पास चरस है। जिस पर पुलिस ने नियमानुसार उनकी चेकिंग की तथा महिला से एक किलो, 40 ग्राम चरस बरामद हुई।

    जिस पर पुलिस ने चार्जशीट अदालत में पेश की तथा महिला के बयान के आधार पर चरस बिक्री करने वाले रोशन लाल पर भी मुकदमा पंजीकृत किया। वहीं, इस मामले में पुलिस द्वारा बनाई गई आरोपित फ्रांस निवासी रोयर निकोल की ओर से अधिवक्ता हरीश जोशी व रोशन लाल की ओर से अधिवक्ता नरेंद्र कोरंगा ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि पुलिस की कहानी मनगढ़ंत है।

    तलाशी के दौरान फ्रांस की महिला को न तो किसी अनुवादक के द्वारा कानून की जानकारी दी गई और न ही अन्य नियमों का पालन किया गया। अधिवक्ताओं ने पुलिस की कहानी को मनगढ़ंत बताते हुए इसे न्यायालय के सामने झूठा साबित किया।

    विशेष सत्र न्यायाधीश पंकज तोमर ने दोनों पक्षों की बहस व दलीलें सुनने के बाद आरोपितों को दोषमुक्त किया। साथ ही कहा कि वर्तमान में आरोपित जमानत पर हैं। इसलिए जमानत के लिए आरोपितों से दाखिल किए गए बंधपत्र भी निरस्त किए जाते हैं।