चारधाम में बिकेंगे बागेश्वर के पंचपात्र
घनश्याम जोशी, बागेश्वर ताम्र व्यवसाय को उसकी पहचान दिलाने के लिए केंद्र की एससीएसटी हब योजना
घनश्याम जोशी, बागेश्वर
ताम्र व्यवसाय को उसकी पहचान दिलाने के लिए केंद्र की एससीएसटी हब योजना के तहत हिमांद्री पूजा किट पैके¨जग का काम शुरू हो गया है। हस्तनिíमत तांबे से बने पूजा पात्रों को चारधाम में बेचा जाएगा। पांच सौ रुपये में एक पूजा किट आसानी से अब श्रद्धालुओं को मिल सकेगा। उद्योग विभाग ने हथकरघा हस्तशिल्प कारीगरों के उत्थान की राह आसान करने का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार की इस योजना से ताम्र शिल्पियों के अच्छे दिन आ गए हैं। हिमांद्री पूजा पात्र किट नाम से पैके¨जग की जा रही है और जल्द चारधाम के अलावा बैजनाथ, बागनाथ, जागेश्वर समेत अन्य धामों में भी यह पंचपात्र नजर आएंगे।
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पूजा किट में शामिल पंचपात्र
तांबे से बने पंच पात्र यानि कुनी, आचमन, अर्ग, दिया और पंचपात्र शामिल किए गए हैं। जिन्हें हस्तशिपियों ने खुबसूरत बनाने की कोशिश की है। यह पंचपात्र शादी-विवाह, जनेऊ संस्कार, पूजा-अर्चना, नामकरण संस्कार समेत ¨हदुओं के तमाम तरह के संस्कारों में काम आते हैं।
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यहां बिकेंगे पूजा पात्र किट
पूजा पात्र किट बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमनोत्री, गंगोत्री और हरिद्वार धाम में बेचे जा सकेंगे। उद्योग विभाग ने विपणन की व्यवस्था कर दी है। इसके अलावा उत्तराखंड के धाíमक स्थल और पर्यटक स्थलों पर भी यह किट उपलब्ध कराने का लक्ष्य है।
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खरेही में बन रहे पात्र
जिले का खरेही क्षेत्र ताम्र उद्योग के नाम से जाना जाता है। टम्ट्यूड़ा, खर्कटम्टा, ¨घघारतोला, देवलधार, सकीणा, चौगांवछीना आदि स्थानों पर ताम्र पूजा किट तैयार किए जा रहे हैं।
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अंग्रेजों ने निकाला तांबा
खरेही पट्टी में अंग्रेजों के समय तांबा निकाला जाता था। यहां आज भी तमाम स्थानों पर गुफाएं हैं, जहां से अंग्रेजों ने तांबा और अन्य धातु का दोहन किया है। देवलधार, चौगांवछीना, छानापानी, बड़ौली, मवानी, घटगाड़ आदि स्थानों पर अभी भी अंग्रेजों द्वारा खोदी गई गुफाओं में जंगली जानवरों का आशियाना है।
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तांबे के बर्तन निर्माण
खेरही पट्टी के दर्जन से अधिक गांवों में तांबे का कारोबार होता था। यहां तांबे के घड़े, पराद, तूतरी, तौले और अन्य घरेलू सामान हस्तनिíमत बनता था। इस सामग्री के स्थान पर प्लास्टिक, स्टील आदि के बर्तन आ गए, जिससे तांबे के कारोबार को झटका लगा। लेकिन अब एससीएसटी हव योजना के तहत हस्तशिल्पियों को तांबे के छोटे बर्तन बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और तकनीक भी बताई जा रही है। पंचपात्र, कलश समेत अन्य सामग्री वर्तमान में बनाई जा रही है। इस कारोबार से करीब 200 से अधिक हस्तशिल्पी जुड़े हैं।
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उत्तराखंड हथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास परिषद देहरादून द्वारा विपणन की व्यवस्था की गई है। स्थानीय स्तर पर पूजा किट की पैके¨जग का काम शुरू कर दिया गया है। इस सीजन में चारधाम के अलावा कौसानी, बैजनाथ और अन्य पर्यटक स्थलों में यह पंचपात्र ब्रिकी के लिए रखे जाएंगे।
-बीसी पाठक, महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र, बागेश्वर
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