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    हाईटेक कैमरे बताएंगे कहां और कितने हैं बाघ-तेंदुए, अब वन विभाग इस तरह रोकेगा टकराव

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 05:58 PM (IST)

    उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए वन विभाग हाइटेक कैमरा ट्रैप का उपयोग कर रहा है। ये कैमरे वास्तविक समय में वन्यजीवों की गतिविधियों की जानकारी देंगे जिससे विभाग संभावित संघर्ष को टालने के लिए ग्रामीणों को सतर्क कर सकेगा। अल्मोड़ा डिवीजन को सौ कैमरे दिए गए हैं और तराई क्षेत्र के संवेदनशील गांवों में भी निगरानी शुरू हो गई है।

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    अल्मोड़ा वन प्रभाग के रानीखेत रेंज के गुलदार प्रभावित सौला व नैनीसेरा में हाइटेक कैमरे लगाते वनकर्मी। सौ. वन विभाग

    दीप सिंह बोरा, रानीखेत (अल्मोड़ा)। उत्तराखंड में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को टालना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। बढ़ते टकराव को थामने के लिए अब वन विभाग अत्याधुनिक तकनीक वाले हाइटेक कैमरा ट्रैप की मदद लेने लगा है।

    विशेष स्क्रीन वाले ये अत्याधुनिक स्वचालित लाइव कैमरे फोटो तथा वीडियो के जरिये वास्तविक समय पर संवेदनशील क्षेत्रों में वन्यजीवों के व्यवहार, गतिविधियों व घटना की सटीक जानकारी मोबाइल पर उपलब्ध कराएंगे।

    इससे विभाग को त्वरित कदम उठाकर ग्रामीणों को सतर्क करते हुए संभावित संघर्ष को टालने में बड़ी मदद मिलेगी। उत्तर प्रदेश से सटे तराई क्षेत्र से लेकर पहाड़ तक अत्याधुनिक कैमरे अब निगरानी करने लगे हैं।

    देशभर के टाइगर रिजर्व में बाघ, गुलदार(तेंदुए), हाथियों की गणना व निगरानी में कैमरे ट्रैप का सफल प्रयोग होता रहा है। करीब 65 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र होने के साथ-साथ अनुकूल माहौल होने के कारण ही देश भर के टाइगर रिजर्व में से 560 बाघों की मौजूदगी से कार्बेट टाइगर रिजर्व शीर्ष स्थान पर है।

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    अब उत्तराखंड वन विभाग भी अत्याधुनिक तकनीक अपनाने लगा है। हाइटेक कैमरा ट्रैप में लाइव फोटो तो दिखेगी ही मेमोरी कार्ड में गतिविधियां रिकार्ड भी होती रहेंगी। वनकर्मियों के मोबाइल पर ये तस्वीरे व वीडियो पहुंचते ही वह त्वरित कदम उठा सकेंगे।

    ये कैमरे बाघ या गुलदारों का कुनबा, आबादी में घुसपैठ, किस दिशा में गतिविधियां अधिक हैं, कहां टकराव के आसार बन रहे आदि पर लगातार नजर रखेंगे। वन्यजीव संघर्ष प्रभावित इन कैमरों की बैटरी सूर्य की रोशनी से ही चार्ज भी होती रहेगी। 16 से 32 जीबी मेमोरी कार्ड में एक से डेढ़ हजार फोटो व वीडियो सुरक्षित रह सकेंगी।

    संरक्षण होगा व दोतरफा सुरक्षा भी बढ़ेगी

    हाइटेक कैमरे वनों में पेड़ों के अवैध कटान तथा वन्यजीवों के शिकार आदि पर अंकुश में भी मदद करेंगे। वहीं गुलदार-बाघ के अलावा भालू, हाथी व कस्तूरी मृग समेत अन्य वन्यजीवों के संरक्षण तथा सुरक्षा में भी यह लाभकारी साबित होंगे।

    उत्तराखंड वन विभाग ने शुरुआती चरण में अल्मोड़ा डिवीजन को सौ कैमरे दिए हैं। रेंज आफिसर तापस मिश्रा के अनुसार प्रशिक्षण के बाद रानीखेत रेंज में 15 कैमरे लगा दिए गए हैं। तराई पूर्वी वन प्रभाग के संवेदनशील गांवों के इर्दगिर्द 10 कैमरों से निगरानी शुरू हो गई है।

    उप्र से लगे खटीमा, जसपुर, बाजपुर के अलावा नैनीताल, नेपाल सीमा से लगे पिथौरागढ़ व चंपावत जिले तथा गढ़वाल मंडल में में उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी आदि जिलों में गुलदारों के साथ ही बाघ, हाथी, हिम तेंदुए, भालू, कस्तूरी मृग आदि पर नजर रखी जाएगी।

    उत्तराखंड से लगे बिजनौर व पीलीभीत में चुनौती बढ़ी

    उत्तराखंड से सटा बिजनौर जिला कार्बेट टाइगर रिजर्व, अमानगढ़, राजाजी व हस्तिनापुर वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी से घिरा होने से अतिसंवेदनशील है। यहां अफजलगढ़, नजीमाबाद, नगीना, धामपुर आदि क्षेत्रों में तीन वर्षों के भीतर बाघ व तेंदुए से टकराव में अब तक 70 लोग जान गंवा चुके हैं और ढाई सौ से ज्यादा घायल हुए हैं।

    इसी साल मई से बाघों की घुसपैठ के कारण गुलदार आबादी व खेतों में पहुंचने लगे। खटीमा (उत्तराखंड) से सटे पीलीभीत (उप्र) में भी बाघों के हमले बढ़ते जा रहे हैं। पांच व छह जुलाई को अमरिया क्षेत्र के रामपुर बौरख गांव, न्यूरिया, बरखेड़ा आदि क्षेत्रों में आबादी के बीच व खेतों में बाघों का डेरा जमाना आम हो गया है।

    मई में ही रुद्रप्रयाग के जखोली ब्लाक स्थित डांडा चमसारी, देवलगांव में तथा जून में मखेत आश्रम गांव में गुलदार ने तीन महिलाओं को मार डाला था। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में गुलदार घर, आंगन व खेतों तक पहुंच साल भर के भीतर करीब 20 लोगों की जान ले चुके हैं। इसके अलावा पालतू मवेशियों को भी निशाना बना रहे हैं।

    उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रभावित सभी जिलों में हाइटेक कैमरा ट्रैप प्राथमिकता से लगाए जा रहे हैं। आधुनिकीकरण वन विभाग की जरूरत है। पैदल गश्त, ड्रोन से निगरानी के साथ अब हाइटेक कैमरे ट्रैप जैसी नई तकनीक टकराव के न्यूनीकरण में बड़ी मदद देगी। इनसे वनाग्नि नियंत्रण के साथ गुलदारों व बाघों के हमलों की रोकथाम, उनके वासस्थलों, जंगल की स्थिति आदि का सही पता लगाकर उनका संरक्षण भी हो सकेगा। -धीरज पांडेय, मुख्य वन संरक्षक