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    राज्‍य की पहली एआई लैब, फिर चैटबाट और अब नो इंटरनेट क्विज एप; उत्तराखंड का ये सरकारी स्कूल लाया नई क्रांति

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 06:42 PM (IST)

    उत्तराखंड के एक सरकारी स्कूल ने शिक्षा में नवाचार करते हुए राज्य की पहली एआई लैब स्थापित की है। इसके बाद, स्कूल ने एक चैटबॉट बनाया और अब बिना इंटरनेट के चलने वाला क्विज एप विकसित किया है। इस पहल से दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा को सुलभ बनाने में मदद मिलेगी।

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    पहली एआई व रोबोटिक्स प्रयोगशाला तैयार करने वाले प्रधानाध्यापक भाष्कर जोशी ने अब ‘नो इंटरनेट क्विज’ नाम से एंड्रायड लर्निंग एप्लीकेशन (एप) विकसित किया है। जागरण

    दीप सिंह बोरा, रानीखेत (अल्मोड़ा)। अभावों के पहाड़ में बेशक सरकारी विद्यालय चुनौतियों से जूझ रहे हैं। दूसरी तस्वीर यह भी है कि यही सरकारी स्कूल नवाचार के जरिये शिक्षा जगत में नई क्रांति का सूत्रपात भी कर रहे हैं। दूरस्थ मटीलाधुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय इसका अनुकरणीय उदाहरण बना है। वहां नवाचारी शिक्षा दुर्गम गांवों के बच्चों को ड्रोन उड़ाने में दक्ष बना रही। नौनिहाल कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) का ककहरा भी सीख रहे। वहीं नित नए शिक्षण एप का विकास ग्रामीण बच्चों को तकनीक के क्षेत्र में सुनहरे भविष्य की राह भी दिखा रहे हैं।

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    उत्तराखंड में प्राथमिक स्तर पर पहली कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) व रोबोटिक्स प्रयोगशाला तैयार करने वाले प्रधानाध्यापक भाष्कर जोशी ने चैटबाट के बाद अब ‘नो इंटरनेट क्विज’ नाम से एंड्रायड लर्निंग एप्लीकेशन (एप) विकसित किया है।

    नवाचारी शिक्षा के क्षेत्र में प्राथमिक विद्यालय मटीलाधूरा (ताड़ीखेत ब्लाक) आधुनिक शिक्षा व नवाचार के क्षेत्र में प्रेरणा से कम नहीं। कोरोनाकाल में धौलादेवी ब्लाक में तैनाती के दौरान प्रधानाध्यापक भाष्कर जोशी ने बजेला आनलाइन एजुकेशन एप विकसित कर बच्चों को आनलाइन पढ़ाया। यहां से उन्होंने मुड़कर नहीं देखा। पिछले वर्ष प्राथमिक स्तर पर उत्तराखंड की पहली आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस आधारित लैब तैयार कर बच्चों को एआई की पढ़ाई शुरू की। यहां गांवों के बच्चे अब ड्रोन भी उड़ाने लगे हैं।

    एआई चैटबाट विद्यार्थी ही नहीं शिक्षकों के लिए भी उपयोगी

    नवाचार के तहत ग्रामीण प्रतिभाओं को प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी व करियर संवारने के उद्देश्य से प्रधानाध्यापक भाष्कर ने एआई चैटबाट विकसित किया है। यह विद्यार्थी ही नहीं गुरुजनों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है। लिंक को क्लिक करने पर एआई चैटबाट विद्यार्थी से जानकारी लेता है। वह सामान्य रुचि आधारित दस से 12 प्रश्न पूछता है। जवाब न देने पर भी विद्यार्थी का आकलन करता है। बुद्धिलब्धता को परखने के बाद बताएगा कि आप किस क्षेत्र करियर संवार पाएंगे। यह निश्शुल्क सुविधा गांव के बच्चों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। प्रधानाध्यापक भास्कर ने एंड्राइड शैक्षिक ऐप भी तैयार किया है जो अंग्रेजी व गणित माड्यूल पर केंद्रित है।

    प्रदेश, देश दुनिया का सामान्य ज्ञान

    भास्कर ने अब जो ‘नो इंटरनेट क्विज’ एंड्रायड लर्निंग मोबाइल एप विकसित किया है, उसके जरिये नौनिहाल देश-प्रदेश व दुनिया से जुड़ी सामान्य ज्ञानवर्धक प्रश्नोत्तरी में निपुण बन सकेंगे। खास बात कि इसे एक बार गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर फिर बिना इंटरनेट कनेक्शन चलाया जा सकेगा। एप के जरिये बच्चे स्वयं प्रश्नोत्तरी हल कर उत्तर की जांच कर सकते हैं। यही नहीं पीडीएफ से प्रश्न निकाल साझा कर सकेंगे। शिक्षकों के लिए भी यह उपयोगी साबित होगा। वह क्विज के प्रिंट आउट निकाल कक्षा में अभ्यास करा सकेंगे। एप में आफलाइन प्रमाणपत्र भी उपलब्ध हो सकेगा।

    ये नवाचार शिक्षा में तकनीक को सरल, सुलभ व बाल मैत्रीपूर्ण बनाने के लिए हैं। मेरा प्रयास है कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण व रोचक शिक्षा मिले। इसीलिए हम तकनीकी व गैरतकनीकी दोनों माध्यमों का प्रयोग करते आ रहे हैं।

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    - भाष्कर जोशी, प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय मटीलाधूरा