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    संरक्षित प्रजाति के हिमालयी काला भालू के जीवन पर संकट

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 28 May 2022 06:11 PM (IST)

    मृग विहार अल्मोड़ा में संरक्षित प्रजाति का हिमालयी काला भालू बुरी तरह बीमार पड़ गया है। ...और पढ़ें

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    संरक्षित प्रजाति के हिमालयी काला भालू के जीवन पर संकट

    संरक्षित प्रजाति के हिमालयी काला भालू के जीवन पर संकट

    जागरण संवाददाता, अल्मोड़ा : मृग विहार अल्मोड़ा में संरक्षित प्रजाति का हिमालयी काला भालू (सेलेनार्कटास थिबेतानस लैनिगर) बुरी तरह बीमार पड़ गया है। अधिकतम उम्र तक पहुंच चुके बुजुर्ग भालू के पैर हाथ पकना शुरू हो गए हैं, पूर्व में हाथों में कीड़े तक लगना शुरू हो गए थे। इतने बड़े रेस्क्यू सेंटर में विभाग के अपने चिकित्सक नहीं होने से भालू की जान पर बन आई है। अब नैनीताल चिड़ियाघर और रानीबाग से चिकित्सकों को बुलवाकर भालू का उपचार करवाने की योजना है। मृग विहार में करीब 24 वर्षीय रामू नाम का हिमालयी भालू अब काफी बूढ़ा हो चुका है। बीते तीन मई से भालू बीमार चल रहा है। उसके पैर और हाथों में मवाद और कीड़े तक पड़ गए थे। मवाद आने से दिक्कतें बढ़ गई। उल्लेखनीय है कि मृग विहार और रेस्क्यू सेंटर में अब तक विभाग का कोई डाक्टर, फार्मासिस्ट या फिर स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं। जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सालय से डाक्टरों का सहयोग लिया जाता है। भालू के बीमार पड़ने पर पशु चिकित्साधिकारी डा. कमल दुर्गापाल और डा. योगेश शर्मा को बुलवाया गया। विभाग ने मशक्कतों के साथ भालू का उपचार करवाया। हाथ-पैरों से कीड़े पूर्व में ही हटा दिए गए। मवाद का भी उपचार अब भी चल रहा है। दो-तीन दिन भालू उसके लिए बनाए गए कमरे से भी बाहर नहीं निकला। फिर उसकी स्थिति कुछ हद तक स्थिर हुई। इधर अब भी उसके मवाद निकल रहा है, और वह बीमार है। इधर शनिवार की देर शाम नैनीताल चिड़ियाघर से डा. पांगती और रानीबाग से डा. भारद्वाज को बुवाया गया है। अधिकतम उम्र की सीमा में पहुंचने वाला है रामू मृग विहार में रामू नाम का यह हिमालयी काला भालू 1998 से है। आम तौर पर भालू की उम्र 25 से 30 वर्ष तक मानी गई है। करीब 24 वर्षीय भालू अब बूढ़ा हो चुका है। अपनी अधिकतम उम्र की सीमा में पहुंचे भालू पूर्व में भी बीमार हो चुका है। इन दिनों करीब 25 दिनों से वह बीमार चल रहा है। ये है हिमालयी काले भालू की विशेषता मृग विहार में एकमात्र भालू हिमालयी काला भालू है। जो भारत के साथ ही नेपाल, भूटान, तिब्बत और पाकिस्तान के हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसका आकार 1.40 से 1.70 मीटर तक होता है। जबकि वजन 90 से 120 किग्रा तक हो सकता है। यह एक सर्वभक्षी प्राणी है, जो मांस और पौधे दोनों का सेवन करता है। इसे शहद और दीमक बहुत पसंद हैं। काफी भारी वजनी होने के बावजूद भी यह लगभग 64 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है। इसे बुद्धीमान जीव मना गया है, जो मनुष्यों से कई गुना अधिक सूंघने की क्षमता रखता है। पेड़ और पहाड़ियों में भी बिना हाफे चढ़ सकता है। भालू बीमार चल रहा है। पूर्व में पशु चिकित्सक से उपचार करवाया गया है। लगातार उपचार करवाया जा रहा है। अब नैनीताल चिड़ियाघर और रानीबाग से वाइल्ड लाइफ विभागीय डाक्टरों को बुलवाया जा रहा है। -देवेंद्र खोलिया, वन क्षेत्राधिकारी मृग विहार अल्मोड़ा

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