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    आस्था के इस फल से कैंसर के खिलाफ लड़ सकते हैं जंग

    By BhanuEdited By:
    Updated: Wed, 05 Apr 2017 05:00 AM (IST)

    भगवान बदरीनाथ की भूमि का फल 'बदरी बेर' अब कैंसर को भी मात देगा। औषधीय गुणों से भरपूर आस्था के इस फल ने चिकित्सा विज्ञान में अनुसंधान की नई राह भी खोल दी है।

    आस्था के इस फल से कैंसर के खिलाफ लड़ सकते हैं जंग

    रानीखेत, अल्मोड़ा [दीप सिंह बोरा]: भगवान बदरीनाथ की भूमि का फल 'बदरी बेर' अब कैंसर को भी मात देगा। हिमालयी राज्य में अब तक के सफल शोध ने इस लाइलाज बीमारी के खात्मे को न केवल रामबाण ढूंढ निकाला है, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर आस्था के इस फल ने चिकित्सा विज्ञान में अनुसंधान की नई राह भी खोल दी है। 

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    खास बात यह कि चीन से इतर उत्तराखंड में बदरी बेर के पांच उत्पाद तैयार कर लिए जाने के बाद राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड ने उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसका उत्पादन बढ़ाने की महत्वाकांक्षी परियोजना को हरी झंडी दे दी है। पहले चरण में पिथौरागढ़, चमोली व उत्तरकाशी में एक-एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में बदरी बेर की पौध तैयार की जाएगी। 

    महाऔषधीय वनों के प्रदेश हिमालय में वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है। समुद्रतल से 2200 से 3300 मीटर की ऊंचाई पर उगने वाले 'बदरी बेर' (हिपोफी सेलीसिफोलिया) पर गहन शोध के बाद कैंसर से लड़ने की दिशा में एक नई उम्मीद जगी है। 

    चूंकि इस फल में आंवले से 16 गुना अधिक ऑक्सीडेंट पाया जाता है, लिहाजा यह कैंसररोधी का काम भी करता है। खास बात यह कि औषधीय गुणों से भरपूर आस्था से जुड़े इस फल को लोगों तक पहुंचाने के लिए इसके पांच उत्पाद जूस, जैम, जैली, अचार व मुरब्बा तैयार कर लिए गए हैं। 

    अनुसंधान में प्रयोग सफल होने के बाद अब जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान (भेषज) के वैज्ञानिक इस शोध में जुट गए हैं कि फल व इसके बीज से और क्या-क्या उत्पाद बनाए जा सकते हैं। बड़ी कामयाबी के बाद राष्ट्रीय औषधीय पादक बोर्ड ने महत्वाकांक्षी परियोजना तैयार कर इसका उत्पादन बढ़ाने का खाका तैयार कर लिया है। 

    भेषज के कुमाऊं प्रभारी डॉ. विपिन भट्ट ने बताया कि अनुसंधान के जरिये हमने बदरी बेर से पांच उत्पाद तैयार कर लिए हैं। शोध जारी अभी है, ताकि और उत्पाद तैयार किए जा सकें। 

    चीन से होगी होड़ 

    पड़ोसी देश चीन बदरी बेर के 5000 से ज्यादा उत्पाद तैयार कर चुका है। चूंकि हिमालय की संजीवनी बूटी सरीखे बदरीबेर की खूबियां उजागर हो चुकी हैं, तो भेषज अब पुन: शोध में जुट गया है। ताकि चीन की बराबरी कर देशवासियों तक अपने उत्पाद पहुंचाए जा सकें।

    सैनिकों के लिए बूस्टर डोज 

    उच्च हिमालयी क्षेत्रों में देश की सीमा के प्रहरी भारतीय सैनिकों के लिए खासतौर पर बदरी बेर संजीवनी बूटी से कम नहीं। वैज्ञानिकों की पहली प्राथमिकता में फौजियों तक इसके उत्पाद अधिक मात्रा में पहुंचाना है।

    बदरी बेर के गुण

    -विटामिन सी व मिनरल्स का खजाना।

    -ऑक्सीडेंट व न्यूट्रीएंट्स जबर्दस्त। 

    -बीज में ओमेगा फैट 

    धार्मिक महत्व 

    बदरीनाथ धाम में बहुतायत में यह फल पाया जाता है, इसीलिए इसे बदरी बेर कहा गया। भगवान बदरीनाथ के सेवक एवं कुलदेव घंटाकर्ण के भोजन थाल में सजने वाली जड़ी-बूटियों में बदरी बेर भी शामिल है। इसलिए यह फल आस्था से भी जुड़ा है।

    यहां-यहां मिलता है

    धारचुला व मुनस्यारी (पिथौरागढ़), नीती व माणा घाटी, उत्तरकाशी, गंगोत्री व यमुना घाटी।

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