उत्तराखंड की पहली आईटीबीपी महिला कांस्टेबल हैं तरन्नुम, शानदार है सफलता की कहानी
ITBP woman constable Tarannum रानीखेत के कुरैशियान मोहल्ला की तरन्नुम उत्तराखंड की पहली आईटीबीपी महिला कांस्टेबल हैं। आइटीबीपी 167वें बैच में 600 कैडेटों का चयन हुआ इसमें 77 बालिकाएं थीं। लेकिन कोरोना के चलते उन्हें 2021 में प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया।
यासिर खान, अल्मोड़ा : ITBP woman constable Tarannum : पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। रानीखेत के कुरैशियान मोहल्ला की तरन्नुम ने इस कहावत को साकार किया है। रुढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए तरन्नुम ने अपना मुकाम खुद बनाया। माता-पिता के निधन के बाद भी उसने हिम्मत नहीं हारी। भाईयों ने हाैसला दिया और उसने कर दिखाया। तरन्नुम क्षेत्र ही नहीं पूरे उत्तराखंड की पहली आईटीबीपी महिला कांस्टेबल बन नाम रोशन किया।
कुरैशियान मोहल्ले के सामान्य परिवार में जन्मी तरन्नुम कुरैशी के पिता अहमद बख्श और माता नफीसा खातून अब इस दुनिया में नहीं हैं। तरन्नुम ने राजकीय बालिका इंटर कालेज रानीखेत से शिक्षा ग्रहण की थी। बचपन से ही देश सेवा का जज्बा लिए उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन के साथ भर्ती की तैयारी की, माता- पिता और भाइयों ने भी इसके लिए प्रेरित किया था। आठ भाई-बहन में सबसे छोटी मेधावी तरन्नुम 2017 में आईटीबीपी के लिए चयनित हुईं। उत्तराखंड से एकमात्र उन्हीं का चयन हुआ।
आइटीबीपी 167वें बैच में 600 कैडेटों का चयन हुआ, इसमें 77 बालिकाएं थीं। लेकिन कोरोना के चलते उन्हें 2021 में प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया। बालिकाओं के नाम संदेश देते हुए तरन्नुम ने कहा कि बालिकाएं हर क्षेत्र में प्रतिभाग कर रही हैं लेकिन अर्द्धसैनिक बलों में प्रदेश स्तर पर अभी बालिकाओं की संख्या कम है। उन्होंने बालिकाओं से अधिक से अधिक संख्या में सेना की भर्तियों में प्रतिभाग करने की अपील की है।
एनसीसी की भी रहीं कुशल कैडेट्स
उत्तराखंड से पहली आईटीबीपी महिला आरक्षी बन देश में नाम रौशन करने वाली तरन्नुम वर्तमान में 42 बीएन जोधपुर में तैनात हैं। 2010 में हाइस्कूल और 2012 में जीजीआईसी से इंटरमीडिएट तक की शिक्षा ली। इसके बाद उन्होंने 2015 में रानीखेत महाविद्यालय से स्नातक किया। महाविद्यालय में भी वह एनसीसी की कुशल कैडेट्स रहीं हैं।
शिक्षिका बनकर भी दी सेवाएं
तरन्नुम कुरैशी में देश सेवा की अलख बचपन से ही थी। लेकिन स्नातक तक की शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने निजी स्कूल में शिक्षिका की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। तरन्नुम के भाई आमिल बताते हैं कि उन्होंने एक निजी स्कूल में शिक्षिका की नौकरी की। इस दौरान उन्होंने सेना में जाने के लिए भी तैयारी जारी रखी।