अल्मोड़ा: होमगार्ड की नशा मुक्ति केंद्र में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत, जांच को बनी चार सदस्यीय कमेटी
अल्मोड़ा के बेस अस्पताल में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे एक होमगार्ड की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक राजेंद्र सिंह बिष्ट को 21 अगस्त को भर्ती कराया गया था जिसने बाद में सैनिटाइजर पी लिया। जिलाधिकारी ने जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की है। घटना के बाद केंद्र की व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे हैं।

जासं, अल्मोड़ा। बेस अस्पताल परिसर में स्थित नशा मुक्ति केंद्र में अपना इलाज कर रहे एक होमगार्ड की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। घटना के बाद पहुंची पुलिस अपने साथ केंद्र की सीसीटीवी फुटेज अपने साथ ले गई। पूरे मामले की जांच शुरु हो गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद मौत की असली कारणों का खुलासा होगा।
बीते 21 अगस्त को 42 वर्षीय होमगार्ड राजेंद्र सिंह बिष्ट निवासी छानी, बाड़ेछीना को स्वजनों ने नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। वह नशे का आदी था। बीते शुक्रवार देर रात बेस अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
बताया जा रहा है बीते 29 अगस्त को सुबह उसने अपने स्वजनों से मुलाकात की। देर शाम तक उसने केंद्र में चलाई जा रही विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। उसने बाद उसने अचानक नशा मुक्ति केंद्र में रखा सैनिटाइजर पी लिया। हालत बिगड़ने पर उसे बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। उन्होंने केंद्र से जरुरी दस्तावेज अपने पास जांच के लिए रखे। पोस्टमार्टम के बाद मौके पर पहुंचे स्वजनों को शव सौंपा गया। राजेंद्र मूल रूप से छानी, बाड़ेछीना का निवासी था। उसके परिवार में दो बच्चे (उम्र 11 और 7 वर्ष) हैं, जो वर्तमान में अल्मोड़ा में पढ़ाई कर रहे हैं।
जांच को बनी चार सदस्यीय कमेटी
जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि जांच के लिए के चार सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। कमेटी में एसडीएम, सीओ, सीएमओ, समाज कल्याण अधिकारी शामिल है। कमेटी को दिशा-निर्देशित कर दिया गया है।
केंद्र व्यवस्थाओं पर उठे सवाल
राजेंद्र की मौत के बाद नशा मुक्ति केंद्र की व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। हाल ही में बीते 28 अगस्त को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस केंद्र का वर्चुअली उद्घाटन किया था। सवाल यह है कि जब यह जगह संवेदनशील है तो वहां सेनेटाइजर जैसी घातक वस्तु खुले में क्यों रखी गई थी। क्या नशा मुक्ति के मरीजों की समुचित काउंसिलिंग नहीं की गई? क्या सुरक्षा के मानक पूरे किए गए? यह जांच का विषय है। 30 की क्षमता वाले केंद्र में वर्तमान में 12 लोग अपना इलाज करा रहे हैं।
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