द्वाराहाट का ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती कौतिक श्रृंगार, हास्य व वीर रस की हुंकार के बीच शुरू
अल्मोड़ा जिला अंतर्गत द्वाराहाट का ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती कौतिक बुधवार से शुरू हो गया है।
संस, द्वाराहाट : ऐतिहासिक स्याल्दे बिखौती कौतिक श्रृंगार रस में रचेबसे झोड़ा व चांचरी के सुमधुर बोलों के बीच रणबांकुरों के वीररस की हुंकार और गायकों के हास्य रस में तर गीतों से निहाल हो गया। अबकी रंगकर्मी महिलाओं व पुरुषों ने कोरोना व वनाग्नि पर झोड़ा गीतों से जहां तंज कसे। वहीं 'कालीखोली है रौ खालि बदनामा नेपाल हौछौ भौ..' झोड़े से व्यंग्यबाण चलाए। सायं नौच्यूला धड़े के हाट, विद्यापुर, सलालखोला व कौला के रणबाकुरे ने नगाड़े निषाणों के साथ ओढ़ा भेंटने की रस्म निभाई।
कुमाऊं की प्राचीन सांस्कृतिक नगरी में बुधवार दोपहर बाटपूजै (मार्ग पूजन) की परंपरा निभाई गई। दिन भर नगर क्षेत्र में झोड़ा गीतों की धूम रही। विभिन्न गांवों से पहुंची महिलाओं ने 'धुर जंगल आग लागि गो सैपों की चकाचक, कोरोना त्वीलै नौकरी खाई नेता च्यू टकाटक..', कालीखोली है रौ खालि बदनामा नेपाल हौछौ भौ, आघिल साल 15 पैटा हिटड़ी हैजो भौ..' नए झोड़ा गीत रचे गए। इस दौरान नगाड़े निषाण दल के मुखिया, पारंपरिक वाद्ययंत्रों को सजीव रखे लोककलाकार व सरंकार नर्तकों का पुष्पवर्षा कर सम्मानित किया गया। त्रिमूर्ति चौराहा पर मदन मोहन उपाध्याय, हरिदत्त काडपाल व बिपिन त्रिपाठी की मूर्तियों का माल्यार्पण भी किया गया।
==========
ये रहे मौजूद
नगर पंचायत अध्यक्ष व मेला समिति अध्यक्ष मुकेश साह, उपाध्यक्ष हेम रावत, सचिव नारायण रावत, मेलाधिकारी आरके पाडे, व्यापार संघ अध्यक्ष आशीष वर्मा, गोविंद अधिकारी, पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी, गिरीश चौधरी, अनिल चौधरी, ममता भट्ट, भूपेंद्र काडपाल, कैलाश फुलारा, प्रताप बिष्ट, जगत सिंह, ललित चौधरी,
============
बिखौती पर त्रिवेणी में आस्था की डुबकी
= मध्य रात्रि नगाड़े-निषाण लेकर पहुंचे रणबांकुरे
= सती कलावती की चरणपादुकाओं का पूजन
द्वाराहाट : बिखौती मेले में लोकसंस्कृति व गौरवशाली विरासत का दीदार हुआ। वीर एवं भक्ति रस में डूबे रणा के बाद सिमलगांव, नैणी, बेढुली, बनोली, असगोली, बलना, बसेरा, छतगुल्ला, तल्ली काहली, बूंगा, सलना व कुंई आदि समेत 15 जोड़ी नगाड़े-निषाणों लेकर बांकुरे विभांडेश्वर मंदिर परिसर पहुंचे। नगाड़े व दमाऊ की धुन पर 'डंगा बाजा' से मुग्ध किया। बुजुर्गो ने 'सरंकार' नृत्य के जरिये युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। लोक गायक प्रकाश काहला ने साथियों संग गीत प्रस्तुत किए। ब्रह्मा मुहुर्त में रणभेरी बजते ही त्रिवेणी पर महास्नान हुआ। परंपरानुसार पहले शिव फिर सती कलावती देवी की चरण पादुका का विशेष पूजन किया गया।