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    शक्ति की देवी मां नंदा

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 01 Apr 2022 05:20 PM (IST)

    सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में समुद्रतल से 7816 मीटर ऊंचाई पर मां नंदा का मूल मंदिर है। मां नंदा चंद

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    शक्ति की देवी मां नंदा

    सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में समुद्रतल से 7816 मीटर ऊंचाई पर मां नंदा का मूल मंदिर है। मां नंदा चंद वंशीय शासकों की ईष्ट देवी भी मानी जाती है। कुमांऊ के कई क्षेत्रों में मां नंदा के मंदिर अलग-अलग स्वरूपों में मौजूद हैं। यहां प्रतिवर्ष चैत्र नवरात्र में विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलता है। पर्यटक भी दूर-दराज से यहां मां के आशीर्वाद के लिए पहुंचते हैँ।

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    इतिहास

    वर्ष1670 में कुमाऊं के चंद शासक राजा बाज बहादुर चंद बधाणकोट किले से मां नंदा देवी की सोने की मूर्ति लाए और मूर्ति को मल्ला महल में स्थापित कर दिया। तब से चंद शासकों ने मां नंदा को कुल देवी के रूप में पूजना शुरू कर किया।

    सन 1690 में तत्कालीन राजा उघोत चंद ने पार्वतीश्वर और उघोत चंद्रेश्वर नामक दो शिव मंदिर बनाए। 1710 में राजा जगत चंद को बधानकोट विजय के अवसर पर नंदादेवी की प्रतिमा प्राप्त नहीं हुई तो उन्होंने अपने खजाने से 200 अशर्फियों को गलाकर नंदादेवी की प्रतिमा का निर्माण कराया। सन 1815 में मल्ला महल में स्थापित नंदादेवी की मूर्तियों को कमिश्नर ट्रेल ने उघोत चंद्रेश्वर मंदिर में रखवा दिया। तब से यह मंदिर नंदा देवी मंदिर से प्रचलित है। वास्तुकला

    नंदा देवी परिसर में बने मंदिर देवकुल शैली, शिखर शैली से निर्मित है। शिखर का नक्काशीयुक्त काष्ठ छत्र 12 स्तम्भों पर आधिारित है। शिव, उमा-महेश, ब्रह्मा आदि की प्रतिमाएं है। मंदिर के मंडप में नंदा सहित दो प्रतिमाएं रखी गई हैं। पास ही में गणेश की प्राचीन प्रतिमा भी है।

    खासियत

    12 सालों में होने वाली नंदा जात यात्रा नंदा देवी मंदिर से होकर जाती है। ऐतिहासिक रुप से यह मंदिर शोधार्थियों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है। प्रतिवर्ष यहां विशाल मेला लगता है।

    --यहां कैसे पहुंचे--

    दिल्ली से हल्द्वानी 295 किमी ट्रेन, बस या टैक्सी से आ सकते हैं। इसके बाद हल्द्वानी से अल्मोड़ा तक की 100 किमी यात्रा कर मुख्यालय पहुंचा जा सकता है। मुख्यालय के बीचों-बीच यह मंदिर स्थित है। यहां बस, कार से आसानी से आ सकते हैं।

    नवरात्रों में मां नंदा की विशेष पूजा अनुष्ठान होते है। मंदिर में भी श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है।

    दूर-दूर से मन्नत मांगने के लिए भक्त पहुंचते है। मां किसी को नाराज नहीं करती है।

    - तारा दत्त जोशी, पुजारी, नंदा देवी मंदिर, अल्मोड़ा